सीजी भास्कर 26 जून ठाणे की अदालत ने 2018 के एक हत्या के मामले में 36 वर्षीय महिला को बरी कर दिया. अभियोजन पक्ष के पास महिला के खिलाफ कोई सबूत नहीं था, सिर्फ उसे संदेह था कि हत्या महिला ने की है. इस मामले में फैसला सुनाते हुए अदालत ने कहा कि संदेह कितना भी मजबूत क्यों न हो, लेकिन वह सबूत की जगह नहीं ले सकता.दरअसल, महिला पर आरोप लगाया था कि उसने 2018 में कबीर अहमद लश्कर नाम के एक व्यक्ति का गला घोंटा कर बेरहमी से हत्या कर दी थी.
अभियोजन पक्ष अदालत में महिला के अपराध को साबित करने में नाकामयाब रहा. आरोपी महिला का नाम रूमा बेगम अनवर हुसैन लश्कर है.महिला के खिलाफ सबूत अपर्याप्तप्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश एस बी अग्रवाल ने हत्या के मामले में पारित अपने आदेश में कहा कि संदेह चाहे कितना भी प्रबल क्यों न हो, वह सबूत की जगह नहीं ले सकता. अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने महिला के खिलाफ जो सबूत पेश किये वह इस बात के निर्णय लेने में अपर्याप्त थे कि अहमद लश्कर की हत्या रूमा बेगम ने की थी.क्या था मामला ?अभियोजन पक्ष ने महिला के ऊपर आरोप लगाया था कि उस महिला ने अहमद लश्कर का गला घोंटा, इसके बाद उसके प्राइवेट पार्ट पर धारदार हथियार से हमला किया.
इतना करने के बाद भी उसका मन नहीं भरा तो उसने ईंट से लश्कर पर वार किया और उसे मौत के घाट उतार दिया.कमरे में बंद मिला था शवपुलिस ने 19 मार्च 2018 को महाराष्ट्र के ठाणे शहर के साईनगर में एक बंद घर के कमरे के अंदर शव को बरामद किया. शव खून से लथपथ और पूरी तरह चादर से लिपटा था. घटना के बाद महिला को बेंगलुरु से गिरफ्तार किया गया था.शादी को लेकर होने लगे थे झगड़ेअभियोजन ने बताया कि अहमद और रूमा ने पहले बेंगलुरु में साइकिल स्टोर में एक साथ काम किया था. उसके बाद ठाणें के कासरवडावली इलाके में एक साइकिल की दुकान पर काम किया था. अभियोजन ने बताया कि रूमा और लश्कर 2016 से लेकर 2018 तक दोनों के बीच काफी अच्छे संबंध थे. लेकिन बाद में शादी की बात को लेकर दोनों के बीच झगड़े होने लगे और रिश्ता खराब हो गया.
अदालत ने सुनाया निर्णयन्यायाधीश ने इस मामले में निर्णय सुनाते हुए कहा कि संदेह चाहे कितना भी मजबूत क्यों न हो, सबूत की जगह नहीं ले सकता. उन्होंने कहा कि अगर सभी सबूतों को जैसा आपने दिखाया वैसे मान भी लिया जाए, लेकिन इसके बावजूद मकान मालिक और उनकी पत्नी ने उन दोनों को सिर्फ एक बार ही साथ देखा था. वो भी 6 महीने बाद इन लोगों ने महिला की पहचान की थी.
इसके आगे उन्होंने कहा कि सीडीआर के सबूत हमें दिखाते हैं कि मृतक के फोन पर दो विशेष नंबरों से कॉल आए थे. जिनके बारे में कुछ पता नहीं चल सका. अदालत ने कहा कि यह पूरी सुनवाई सीडीआर, मकान मालिक और उनकी पत्नी के बयानों पर निर्भर थी. इसके अलावा भी फोरेंसिक जांच में चाकू, कपड़े, बिस्तर और ईट जैसी चीजों पर खून के धब्बे मिले थे. अदालत ने बताया कि लेकिन इनमें से धब्बे आरोपी महिला से किसी भी तरह जुड़े नहीं थे