सीजी भास्कर, 28 जून। भारतमाला परियोजना से जुड़े बहुचर्चित घोटाले ने एक और दर्दनाक मोड़ ले लिया है। इस मामले में निलंबित पटवारी सुरेश मिश्रा ने शुक्रवार को आत्महत्या कर ली।
उन्होंने बिलासपुर जिले के सकरी थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम जोकी स्थित अपनी बहन के फार्महाउस में फांसी लगाकर जीवन समाप्त कर लिया। उनके पास से बरामद सुसाइड नोट में उन्होंने खुद को निर्दोष बताते हुए सिस्टम पर सवाल खड़े किए हैं।
सुसाइड नोट में लिखा – “मैं निर्दोष हूं, लेकिन सुनने वाला कोई नहीं…”
पुलिस को घटनास्थल से जो सुसाइड नोट और एक पत्र मिला, उसमें सुरेश मिश्रा ने लिखा:
“मैं निर्दोष हूं। लेकिन मुझे बेवजह इस घोटाले में फंसाया गया। पूरी जिम्मेदारी RI, कोटवार और गांव के एक अन्य व्यक्ति की है। मेरी बहाली की जाए।”
बताया जा रहा है कि सुरेश मिश्रा महज चार दिन बाद रिटायर होने वाले थे, लेकिन दो दिन पहले ही उनके खिलाफ FIR दर्ज हुई, जिससे वे मानसिक तनाव में थे।
क्या है भारतमाला घोटाले की पृष्ठभूमि?
छत्तीसगढ़ में चल रहे भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत राष्ट्रीय राजमार्ग 130-A (बिलासपुर से उरगा) तक भूमि अधिग्रहण के दौरान नामांतरण और बंटवारे में फर्जीवाड़ा सामने आया था।
इससे सरकार को करोड़ों रुपये का मुआवजा घोटाला झेलना पड़ा और प्रोजेक्ट की रफ्तार भी रुक गई। जिला स्तरीय जांच समिति की रिपोर्ट में तत्कालीन तहसीलदार डीके उइके और पटवारी सुरेश मिश्रा की भूमिका सामने आई थी। 24 जून को सस्पेंशन और 25 जून को FIR के बाद से मिश्रा तनाव में चल रहे थे।
क्या आत्महत्या के लिए उकसाया गया?
सकरी थाना पुलिस ने मामला दर्ज कर मौत की जांच शुरू कर दी है। अफसरों का कहना है कि:
- सुसाइड नोट की फॉरेंसिक जांच की जाएगी।
- यह पता लगाया जाएगा कि मिश्रा को आत्महत्या के लिए मजबूर तो नहीं किया गया।
- अन्य आरोपियों की भूमिका की भी गहनता से जांच होगी।