भोपाल:
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने पहली बार खुलकर स्वीकार किया कि मध्य प्रदेश में 2020 में गिरी कमलनाथ सरकार की असली वजह क्या थी।
उन्होंने साफ कहा कि यह घटना किसी विचारधारा के टकराव की वजह से नहीं, बल्कि "पर्सनालिटी क्लैश" का नतीजा थी।
“मेरी कुंडली में लिखा है…” – दिग्विजय
MPTak को दिए इंटरव्यू में दिग्विजय सिंह ने कहा,
“मेरा दुर्भाग्य है कि शायद मेरी कुंडली में यही लिखा है कि मुझ पर वही आरोप लगते हैं जिनमें मैं दोषी नहीं होता। प्रचारित किया गया कि मेरी और ज्योतिरादित्य सिंधिया की लड़ाई की वजह से सरकार गिरी, जबकि सच्चाई ये नहीं है।”
उन्होंने दावा किया कि उन्होंने पहले ही चेतावनी दी थी कि यदि कमलनाथ और सिंधिया के बीच मतभेद नहीं सुलझे तो सरकार खतरे में पड़ सकती है।
डिनर मीटिंग का किस्सा
दिग्विजय ने बताया कि उन्होंने एक बड़े इंडस्ट्रियलिस्ट से संपर्क किया था, जिनके कमलनाथ और सिंधिया दोनों से अच्छे रिश्ते थे। उसी इंडस्ट्रियलिस्ट के घर डिनर मीटिंग हुई, जिसमें खुद दिग्विजय भी मौजूद थे।
इस डिनर में ग्वालियर-चंबल संभाग से जुड़ी कई मांगों की सूची तैयार की गई थी। दिग्विजय के अनुसार, "हम दोनों (कमलनाथ और सिंधिया) ने विशलिस्ट पर दस्तखत भी किए थे, लेकिन उस पर अमल नहीं हुआ।"
कांग्रेस सरकार कैसे गिरी?
- 2018 में कांग्रेस ने 15 साल बाद सत्ता में वापसी की थी और कमलनाथ मुख्यमंत्री बने।
- लेकिन 15 महीने बाद ही नाराज चल रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया।
- सिंधिया समर्थक कई विधायकों ने इस्तीफा दे दिया, जिससे कांग्रेस बहुमत खो बैठी और कमलनाथ को पद छोड़ना पड़ा।
दिग्विजय का कहना है कि अगर ग्वालियर-चंबल से जुड़ी सिंधिया की मांगें मान ली जातीं, तो शायद सरकार आज भी बची रहती।