सीजी भास्कर, 23 अगस्त। Gariband Hospital Incident : गरियाबंद जिला अस्पताल से आई एक तस्वीर ने पूरे स्वास्थ्य तंत्र की पोल खोल दी है।
वायरल तस्वीर में अस्पताल की महिला गार्ड एक महिला मरीज को इंजेक्शन लगाती दिख रही है। इस गंभीर लापरवाही पर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका के रूप में सुनवाई शुरू कर दी है।
गुरुवार को चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बी.डी. गुरु की बेंच ने सुनवाई करते हुए इसे बेहद गंभीर और जीवन से खिलवाड़ बताया।
कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए सवाल उठाया कि आप लोग कर क्या रहे हैं, अस्पतालों में यह क्या हो रहा है। अगर किसी की जान चली गई तो जिम्मेदार कौन होगा।
अदालत ने गरियाबंद कलेक्टर से व्यक्तिगत हलफनामा पेश करने का आदेश दिया और घटना की विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। बेंच ने साफ शब्दों में कहा कि इस तरह की घटना की अनदेखी नहीं की जा सकती। मामले की अगली सुनवाई अगले हफ्ते होगी।
यह है पूरा मामला
असल में कुछ दिन पहले जिला अस्पताल गरियाबंद में स्वास्थ्य विभाग की लचर व्यवस्था की एक तस्वीर सामने आई है। दरअसल, एनआरएचएम कर्मचारियों की हड़ताल के बीच अस्पताल में महिला गार्ड द्वारा मरीज को इंजेक्शन लगाने का मामला सामने आया है।
इस घटना का वीडियो और फोटो इंटरनेट मीडिया पर वायरल होते ही हड़कंप मच गया।
जानकारी के मुताबिक, अस्पताल में स्वास्थ्यकर्मी मौजूद न होने पर महिला गार्ड ने महिला मरीज को इंजेक्शन लगा दिया। उस वक्त अस्पताल में मौजूद पूर्व पार्षद ने यह नजारा देखा और तुरंत इसका वीडियो बना इंटरनेट मीडिया पर डाल दिया।
कलेक्टर ने मांगा है जवाब
अखबारों में रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद प्रशासन हरकत में आया और पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए अफसरों से जवाब मांगा गया है। कलेक्टर ने अधिकारियों से स्पष्ट करने को कहा है कि अस्पताल में गार्ड इंजेक्शन लगाने की स्थिति में कैसे पहुंची और आखिर इस लापरवाही की जिम्मेदारी किसकी है।
उन्होंने माना कि महिला गार्ड से मरीज को इंजेक्शन लगवाना न केवल चिकित्सा नियमों का उल्लंघन है बल्कि पूरे प्रशासन की छवि धूमिल करने वाली घटना है।
हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि मामले की अनदेखी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इस मामले की अगली सुनवाई अगले हफ्ते तय की गई है।