सीजी भास्कर, 17 सितंबर। शिक्षा व्यवस्था को लेकर उठते सवालों के बीच विभाग ने सख्त कार्रवाई की है। लगातार शिकायतें सामने आने के बाद जाँच में कई चौंकाने वाले तथ्य उजागर हुए। कक्षा संचालन, विद्यालयीन गतिविधियों और अनुशासन से जुड़ी अनियमितताओं पर अब अधिकारी भी सतर्क हो गए हैं।
शिक्षा विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार गीता प्रसाद मधुकर, प्राचार्य, शा.उ.मा.वि. करडेगा, वि.ख. दुलदुला जिला जशपुर को (Principal Suspension) की कार्रवाई का सामना करना पड़ा है। बताया गया कि वे विद्यालय से अधिकतर अनुपस्थित रहते थे और नियमित रूप से कक्षाएं नहीं लेते थे। विद्यालयीन कार्यों में रुचि न लेने से व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। विद्यालय में स्वच्छ पेयजल का अभाव, शौचालयों की खराब स्थिति, फर्नीचर टूटा होना, पंखा व विद्युत उपकरण काम न करना, क्रीड़ा सामग्रियों का उपयोग न होना तथा एनएसएस व स्काउट-गाइड गतिविधियां संचालित न होना पाया गया। साथ ही उच्च अधिकारियों के आदेशों की अवहेलना और शिक्षकों, कर्मचारियों व विद्यार्थियों के साथ दुर्व्यवहार जैसी गंभीर शिकायतें दर्ज हुईं।
अनुविभागीय अधिकारी (रा.) कुनकुरी द्वारा मधुकर के विरुद्ध टीसी के एवज में अधिक राशि की मांग और कार्यालयीन स्टाफ के साथ अनुचित व्यवहार की जांच की गई, जो प्रथम दृष्टया प्रमाणित हुई। इन सभी तथ्यों को देखते हुए (Principal Suspension) की अनुशंसा की गई।
मधुकर का यह कृत्य छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के नियम 3 का उल्लंघन पाया गया। नियम 9 (1)(क), छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम 1966 के अंतर्गत उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है। इस अवधि में उन्हें जीवन निर्वाह भत्ता मिलेगा और मुख्यालय कार्यालय जिला शिक्षा अधिकारी, जशपुर निर्धारित किया गया है। इस कार्रवाई से विभाग का संदेश स्पष्ट है कि (Principal Suspension) जैसे कदम शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाने के लिए जारी रहेंगे।
