सीजी भास्कर, 14 अगस्त। खनिज उत्पादक राज्यों को रायल्टी देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आज बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ 2005 के बाद से रायल्टी लेने की छूट दे दी है। देश की सर्वोच्च न्यायालय ने आज एक अहम फैसले में खनिज उत्पादक राज्यों को रायल्टी वसूलने की छूट दे दी है। कोर्ट के इस आदेश से छत्तीसगढ़, ओडिशा और झारखंड जैसे बड़े खनिज उत्पादक राज्यों के खजाने में करोड़ों रुपये आएंगे। क्योंकि कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ राज्यों को 2005 से रायल्टी वसूलने की छूट दे दी है। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने 8:1 के बहुमत से यह फैसला सुनाया है।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को 1 अप्रैल, 2005 से केंद्र और खनन कंपनियों से खनिज पर रॉयल्टी पर पिछले बकाये की वसूली करने की अनुमति दे दी। बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 25 जुलाई को अपने एक फैसले में खनिज उत्पादक राज्यों को रायल्टी वसूलने का अधिकार दिया था। इस फैसले के खिलाफ अपील की गई थी, जिसमें कोर्ट से आग्रह किया गया था कि बीते वर्षों की बजाय इसे मौजूदा समय से लागू किया जाए। कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 9 न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि 25 जुलाई के फैसले के भावी प्रभाव संबंधी तर्क को खारिज किया जाता है। पीठ में न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय, न्यायमूर्ति अभय एस ओका, न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला , न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा , यह मूर्ति उज्जवल भुइयां , न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा , एवं न्यायमूर्ति अगस्टिन जॉर्ज मशीन के नाम शामिल हैं। पीठ ने कुछ शर्तों के साथ राज्यों को बकाया वसूली करने की छूट दी है । खनन कंपनियां राज्यों को बकाया राशि का भुगतान 12 वर्षों में चरणबद्ध तरीके से कर सकती हैं।