सीजी भास्कर, 08 अक्टूबर। कानपुर के घाटमपुर में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने सरकारी सिस्टम (DM Jitendra Pratap Singh Action) की सच्चाई और संवेदनशीलता—दोनों को एक साथ दिखा दिया। नगर पालिका के रिकॉर्ड में एक दिव्यांग व्यक्ति को “मृत” घोषित कर उसकी पेंशन रोक दी गई, लेकिन जब सच्चाई सामने आई तो जिलाधिकारी ने न केवल गलती सुधरवाई बल्कि पीड़ित को उसका हक भी दिलाया।
घाटमपुर के रहने वाले सुरेश चंद्र, जो शारीरिक रूप से दिव्यांग हैं, पिछले एक साल से अपनी पेंशन बंद होने के कारण परेशान थे। जब उन्होंने नगर पालिका में कारण पूछा तो उन्हें यह जानकर झटका लगा कि सरकारी रिकॉर्ड में वे मृत दिखाए गए हैं।
“मैं ज़िंदा हूं, फिर भी मरा लिख दिया गया!”
सुरेश चंद्र ने इस गलती को ठीक करवाने के लिए लगातार एक साल तक नगर पालिका के चक्कर लगाए, लेकिन किसी ने उनकी बात पर यक़ीन नहीं किया। निराश होकर उन्होंने आखिरकार सम्पूर्ण समाधान दिवस (DM Jitendra Pratap Singh Action) के दौरान अपनी व्यथा डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह के सामने रखी।
भावुक होते हुए उन्होंने कहा—
“मैं ज़िंदा हूं साहब, लेकिन कागजों में मुझे मरा हुआ लिख दिया गया है। मेरी पेंशन बंद हो गई है और कोई मेरी बात नहीं सुनता।”
डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह ने उनकी बात सुनते ही तुरंत जांच के आदेश दिए और उपजिलाधिकारी घाटमपुर अबिचल प्रताप सिंह को जांच सौंपी।
जांच में सामने आई बड़ी लापरवाही
जांच में खुलासा हुआ कि नगर पालिका के संविदा कर्मचारी मोहित तिवारी ने बिना सत्यापन के ही रिपोर्ट लगाकर सुरेश चंद्र को मृत घोषित कर दिया था। इस लापरवाही (DM Jitendra Pratap Singh Action) के चलते सुरेश चंद्र की पेंशन एक वर्ष तक बंद रही।
जैसे ही यह बात सामने आई, प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई करते हुए दोषी कर्मचारी से पूरी पेंशन राशि वसूली और पीड़ित को दिलाई।
फिर छलक पड़े भावनाओं के आंसू
जब सुरेश चंद्र को एक साल की रुकी हुई पेंशन राशि ₹12,000 और नई पेंशन दोनों मिलीं, उनकी आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े।
उन्होंने कहा —
“मुझे ज़िंदा रहकर भी मरा घोषित कर दिया गया था। एक साल तक किसी ने मेरी बात नहीं सुनी। आज प्रशासन ने मुझे मेरा हक वापस दिलाया है। मैं जिलाधिकारी और अधिकारियों का आभारी हूं।”
DM ने दी चेतावनी, कहा — आगे ऐसी गलती बर्दाश्त नहीं
डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह ने पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए नगर पालिका को सख्त चेतावनी दी है कि भविष्य में किसी व्यक्ति को मृत घोषित करने से पहले पूर्ण सत्यापन जरूरी होगा।
उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में लापरवाही “मानवीय संवेदना पर प्रहार” के समान है, और दोषी कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।