सीजी भास्कर, 9 अक्टूबर। बस्तर में लंबे समय से चल रही मतांतरण की प्रवृत्ति अब धीरे-धीरे थमती दिखाई दे रही है। इसी के बीच एक प्रेरणादायक घटना सामने आई है — जगदलपुर विकासखंड के चितापदर गांव में 45 वर्षीय महिला सुबाय बघेल और उनके 20 वर्षीय बेटे वीरेंद्र बघेल ने लगभग 18 वर्ष बाद अपने मूल धर्म (Ghar Wapsi Movement) में पुनः वापसी की है।
कचरा पाठी परगना संगठन की प्रेरणा से मां-बेटे ने ईसाई धर्म का त्याग कर अपने सनातन धर्म (Ghar Wapsi Movement) को दोबारा अपनाया। गांव के मंदिर परिसर में मंत्रोच्चार और पूजा-अर्चना के बाद समाजजनों ने पूरे विधि-विधान से दोनों को पुनः अपने समुदाय में स्वीकार किया। बताया गया कि वीरेंद्र के पिता की कुछ महीने पहले मृत्यु हो गई थी, जिसके बाद परिवार ने आत्ममंथन करते हुए अपने पुरखों की आस्था की ओर लौटने का निर्णय लिया।
कचरा पाठी परगना के अध्यक्ष धनुर्जय बघेल ने कहा, “यह केवल एक परिवार की घर वापसी (Ghar Wapsi Movement) नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति और पहचान की पुनर्स्थापना है। जब पश्चिमी प्रभाव और मतांतरण की प्रवृत्ति बढ़ रही है, तब समाज का अपनी जड़ों की ओर लौटना एक शुभ संकेत है।”
उन्होंने कहा कि संगठन अब ऐसे परिवारों की पहचान करेगा, जो किसी कारणवश अपने धर्म से दूर हो गए हैं, ताकि उन्हें संवाद के माध्यम से दोबारा समाज की मुख्यधारा से जोड़ा जा सके। संरक्षक प्रेम चालकी ने कहा, “हमारे पूर्वजों ने सत्य, अहिंसा और सनातन धर्म के सिद्धांतों पर जीवन जिया है। जो लोग अब अपने धर्म में लौट रहे हैं, वे आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेंगे।”
जिला उपाध्यक्ष आकाश कश्यप ने कहा कि मतांतरण से हमारी परंपराएं और देवी-देवताओं की उपासना पद्धति खतरे में पड़ जाती है। इसलिए समाज को एकजुट होकर अपनी संस्कृति और परंपराओं की रक्षा करनी होगी। उन्होंने बताया कि हाल के वर्षों में बस्तर के विभिन्न गांवों में घर वापसी (Ghar Wapsi Movement) के कई उदाहरण सामने आए हैं, जो यह दर्शाता है कि अब समाज आत्म-चिंतन और पुनर्जागरण की दिशा में आगे बढ़ रहा है।