भिलाई (World Habitat Day Bhilai) में सोमवार, 6 अक्टूबर 2025 को द इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया) की स्थानीय शाखा ने विश्व पर्यावास दिवस पर एक महत्वपूर्ण तकनीकी परिचर्चा का आयोजन किया। यह कार्यक्रम इंजीनियर्स भवन, सिविक सेंटर में हुआ, जिसमें शहरी विकास और पर्यावरण संरक्षण से जुड़े विशेषज्ञों ने अपने विचार साझा किए।
प्राचीन भारत से आधुनिक शहरी समाधान तक
मुख्य अतिथि वक्ता तारण प्रकाश सिन्हा, आयुक्त मनरेगा, छत्तीसगढ़ शासन ने अपने संबोधन में कहा कि भारत की नगरीय सभ्यता प्राचीन काल से ही समृद्ध रही है। उन्होंने 5000 वर्ष पुरानी सिंधु घाटी सभ्यता और धौलावीरा नगर का उदाहरण देते हुए बताया कि उस समय भी जल प्रबंधन और अपशिष्ट निस्तारण की बेहतरीन व्यवस्था थी। सिन्हा ने कहा कि आज हम जिन शहरी चुनौतियों (World Habitat Day Bhilai Theme) पर चर्चा कर रहे हैं, उनके समाधान की झलक प्राचीन भारत में भी देखने को मिलती है।

वायु प्रदूषण और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन पर जोर
क्षेत्रीय अधिकारी डॉ. अनीता सावंत ने कहा कि शहरों में वायु प्रदूषण का बड़ा कारण वाहनों और उद्योगों से होने वाला उत्सर्जन है। उन्होंने राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) का उल्लेख करते हुए बताया कि भिलाई ने 2017-18 की तुलना में पीएम10 स्तर में 15% से अधिक कमी दर्ज की है। उन्होंने ई-कचरा और जैव-चिकित्सा अपशिष्ट (Biomedical Waste Management Bhilai) के प्रबंधन को बड़ी चुनौती बताया और कहा कि ठोस अपशिष्ट से बायो-गैस उत्पादन की दिशा में भी काम हो रहा है।

शहरी नियोजन की चुनौतियां और कानून
संयुक्त संचालक, नगर एवं ग्राम निवेश, सूर्यभान सिंह ठाकुर ने भारत में पांच वर्षीय योजनाओं के इतिहास से लेकर शहरी नियोजन से जुड़े नियमों और कानूनों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि तेजी से बढ़ती शहरी आबादी को देखते हुए “टाउन प्लानिंग इंस्टीट्यूट्स” की संख्या में बढ़ोतरी आवश्यक है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे अवैध प्लॉट न खरीदें, क्योंकि इससे न केवल शहर की योजना प्रभावित होती है बल्कि व्यक्ति को भी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

तकनीकी प्रगति और पर्यावरणीय संकट
मुख्य वक्ता डॉ. विवेक अग्निहोत्री, सहायक प्राध्यापक, एनआईटी रायपुर ने कहा कि पिछले दो शताब्दियों में तकनीकी प्रगति तेज हुई है, लेकिन इसके चलते पर्यावरण को भारी क्षति पहुंची है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि ऊर्जा उपयोग, परिवहन और जीवनशैली में बदलाव नहीं किया गया तो भविष्य में धरती पर जीवन कठिन हो जाएगा। डॉ. अग्निहोत्री ने कार्बन फुटप्रिंट्स में कमी लाने और टिकाऊ जीवनशैली अपनाने की जरूरत पर बल दिया।
जनभागीदारी और क्विज से बढ़ा उत्साह
इस अवसर पर श्री हृदय मोहन ने चीन और भूटान के शहरी विकास मॉडल का उदाहरण देते हुए जनभागीदारी को अहम बताया। वहीं, भिलाई इस्पात संयंत्र के महाप्रबंधक, पर्यावरण प्रबंधन विभाग श्री के. प्रवीण ने छात्रों और प्रतिभागियों के लिए एक रोचक क्विज का आयोजन किया, जिसमें आवास और शहरी व्यवस्था से जुड़े सवाल पूछे गए।