सीजी भास्कर, 11 अक्टूबर। रायपुर जंगल सफारी की बाघिन ‘बिजली’ (Baghin Bijli Death) की गुजरात के जामनगर स्थित वनतारा वाइल्ड लाइफ रेस्क्यू सेंटर में इलाज के दौरान मौत हो गई। शुक्रवार (10 अक्टूबर) को वनतारा प्रशासन ने इसकी आधिकारिक जानकारी सोशल मीडिया पर साझा की, जिसके बाद पूरे छत्तीसगढ़ के वन विभाग में शोक की लहर दौड़ गई। राज्य के पीसीसीएफ (वन्यजीव) अरुण कुमार पांडे ने भी इसकी पुष्टि की है।
पांडे ने बताया कि जंगल सफारी के DFO और मेडिकल टीम को बिजली की मौत की सूचना (Baghin Bijli Death) मिलते ही तुरंत जामनगर रवाना कर दिया गया है। वहां उसका अंतिम संस्कार वन विभाग की देखरेख में किया जाएगा। बताया जा रहा है कि बाघिन को 7 अक्टूबर को यूट्रस-ओरल संक्रमण (Uterus-Oral Infection) की वजह से वनतारा भेजा गया था, जहां 9 अक्टूबर की रात वह पहुंची थी।
बिजली की स्वास्थ्य स्थिति (Baghin Bijli Death) पिछले कई दिनों से बिगड़ी हुई थी। उसने 10 दिनों से खाना-पीना बंद कर दिया था। सीटी स्कैन और ब्लड टेस्ट में सामने आया कि उसकी किडनी भी कमजोर हो चुकी थी। शुरुआत में गैस्ट्रो-इंटेस्टाइनल समस्या समझकर इलाज किया गया, लेकिन बाद में पता चला कि संक्रमण गर्भाशय तक फैल गया है। डॉक्टरों की टीम ने उसे एडवांस सर्जिकल केयर में भर्ती किया, लेकिन वह बच नहीं पाई।
जहां से आए थे पिता, वहीं ली अंतिम सांस
9 साल पहले जब जंगल सफारी का उद्घाटन हुआ था, तब गुजरात से नर बाघ ‘शिवाजी’ लाया गया था। बिजली, उसी शिवाजी की पहली संतान थी। दिलचस्प बात यह है कि बिजली के पिता (Baghin Bijli Death) भी गुजरात से छत्तीसगढ़ आए थे और अब बिजली ने भी वहीं अंतिम सांस ली।
इलाज में देरी से बिगड़ी हालत
वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, सीजेडए (Central Zoo Authority) से अनुमति मिलने में 10 दिन की देरी के कारण बिजली को समय पर इलाज नहीं मिल पाया। यदि मंजूरी जल्द मिल जाती तो स्थिति शायद अलग होती। वन विभाग ने अब अनुमति प्रक्रिया को तेज करने के लिए नए प्रोटोकॉल बनाने का निर्णय लिया है।
डॉक्टर बोले पहले से कमजोर थी
वनतारा की पशु चिकित्सा टीम ने बताया कि बिजली को कमजोरी और संक्रमण (Baghin Bijli Death) की गंभीर समस्या थी। उसके डाइजेशन सिस्टम और किडनी दोनों प्रभावित थे। लंबे समय से इलाज के बावजूद उसकी स्थिति में सुधार नहीं हो रहा था। वन विभाग के अधिकारी ने कहा कि “बिजली जंगल सफारी की सबसे प्यारी और आकर्षक बाघिनों में से एक थी। उसकी कमी हमेशा महसूस की जाएगी।”