सीजी भास्कर, 12 अक्टूबर। एम्स भोपाल से चोरी हो रहे ब्लड प्लाज्मा (AIIMS Bhopal Plasma Theft) की अंतरराज्यीय कालाबाजारी का खुलासा हुआ है। पुलिस जांच में पता चला कि एक गिरोह अब तक 1150 यूनिट प्लाज्मा (Illegal Plasma Trade) चोरी कर महाराष्ट्र के नासिक और औरंगाबाद में स्थित दो निजी प्रयोगशालाओं को बेच चुका था। इन लैब्स में प्लाज्मा का उपयोग कर बायोमेडिकल दवाएं (Biomedical Drug Manufacturing) तैयार की जा रही थीं। पुलिस ने दोनों लैब संचालकों को गिरफ्तार कर लिया है।
पुलिस के अनुसार, गिरोह का सरगना लक्की पाठक पहले ही गिरफ्तार हो चुका है, जबकि उसका भाई दीपक पाठक इस पूरे रैकेट का प्रमुख सप्लायर था। दीपक ने पूछताछ में बताया कि वह चोरी किया गया प्लाज्मा औरंगाबाद के करण चौहान और नासिक के श्याम देशमुख को बेचता था। दोनों को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई, जिससे स्पष्ट हुआ कि चोरी के प्लाज्मा से इम्यूनोग्लोबुलिन, क्लॉटिंग फैक्टर, एल्ब्यूमिन और प्रोथ्रोम्बिन कॉम्प्लेक्स (Illegal Plasma-based Medicine Production) जैसी महंगी दवाएं बनाई जा रही थीं।
ये दवाएं अस्पतालों और फार्मा कंपनियों को ऊंचे दामों पर बेची जाती थीं। पुलिस ने आरोपितों को कोर्ट में पेश कर रिमांड पर लिया है। जांच में सामने आया कि एम्स ब्लड बैंक (AIIMS Blood Bank Scam) के आउटसोर्स कर्मचारी अंकित केलकर और उसका साथी अमित जाटव पिछले एक साल से प्लाज्मा चोरी कर रहे थे।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, यह रैकेट प्लाज्मा की अवैध आपूर्ति श्रृंखला (Interstate Medical Black Market) के जरिये सक्रिय था। बता दें कि प्लाज्मा रक्त का तरल, हल्का पीला हिस्सा होता है, जो लाल और श्वेत रक्त कोशिकाओं तथा प्लेटलेट्स को शरीर में पहुंचाने का काम करता है।