सीजी भास्कर, 14 अक्टूबर। जिले के पौंसरा संकुल में शिक्षा विभाग के भीतर फर्जी मेडिकल रीइंबर्समेंट बिल तैयार कर करीब 7.50 हजार रुपए (Corruption in Education Department) की हेराफेरी का मामला उजागर हुआ है। इस घोटाले में संकुल समन्वयक साधेलाल पटेल और उनकी पत्नी, राजकुमारी पटेल, जो बैमा के दैहानपारा प्राथमिक विद्यालय में प्रधान पाठक हैं, दोनों की संलिप्तता सामने आई है। जांच के बाद विभाग ने दोनों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। साथ ही पुलिस में एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश भी दिए गए हैं।
कैसे किया गया फर्जीवाड़ा
विभागीय जांच के अनुसार साधेलाल पटेल ने अपने साथी शिक्षक के मेडिकल बिल में फर्जी सील और हस्ताक्षर लगाकर, मृतक साले, पत्नी और अन्य रिश्तेदारों के नाम पर जाली बिल तैयार किए (Corruption in Education Department)। इन दस्तावेजों को मेडिकल रीइंबर्समेंट के लिए जमा कराया गया, जिससे विभाग से कई बार रकम निकाली गई। ज्यादातर राशि राजकुमारी पटेल के बैंक खाते में जमा की गई।
रिपोर्ट के मुताबिक, पहले से स्वीकृत देयक — 33,123 और 40,947 रुपए — संबंधित कर्मचारियों को भुगतान किए जा चुके थे। इसके बाद इन्हीं बिलों को कूटरचित दस्तावेजों के जरिए दोबारा विभाग से पास कराया गया, और 4,33,123 रुपए तथा 2,40,947 रुपए क्रमशः साधेलाल के रिश्तेदार और पत्नी के खाते में ट्रांसफर किए गए।
कार्रवाई की पूरी प्रक्रिया Corruption in Education Department
संयुक्त संचालक आरपी आदित्य ने संकुल प्रभारी साधेलाल पटेल को निलंबित कर दिया, जबकि राजकुमारी पटेल को भी सस्पेंड किया गया है। दोनों के खिलाफ विभागीय जांच जारी है, और संबंधित कर्मचारियों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं।
जिलाधिकारी ने जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) को तत्काल एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए। डीईओ ने यह जिम्मेदारी बीईओ भूपेंद्र कौशिक को सौंपी, जिन्होंने सभी दस्तावेज थाने में सौंपकर प्राथमिकी दर्ज कराई।

सुनियोजित घोटाले का पर्दाफाश
जांच में यह भी स्पष्ट हुआ कि पति-पत्नी ने सुनियोजित तरीके से फर्जी बिल बनवाए (Corruption in Education Department), मेडिकल दस्तावेजों पर नकली सील लगाई और विभाग से राशि निकालने के लिए मृतक रिश्तेदारों के नाम का दुरुपयोग किया।
इस घटना ने शिक्षा विभाग में वित्तीय लापरवाही और सिस्टम की कमजोर निगरानी को उजागर कर दिया है। विभाग ने भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए कड़े नियंत्रण तंत्र और डिजिटल वेरीफिकेशन सिस्टम लागू करने की घोषणा की है।
विभागीय प्रतिक्रिया Corruption in Education Department
विभागीय सूत्रों का कहना है कि अब हर मेडिकल रीइंबर्समेंट आवेदन को ऑनलाइन सत्यापन प्रक्रिया से जोड़ा जाएगा, जिसमें संबंधित चिकित्सक और अस्पताल के डिजिटल हस्ताक्षर अनिवार्य होंगे। अधिकारियों का मानना है कि इससे “फर्जी बिलिंग” और “डुप्लिकेट क्लेम” की गुंजाइश समाप्त होगी।