सीजी भास्कर, 19 अक्टूबर। सेंट्रल जेल अंबिकापुर से हत्या (Prisoner Escape Case) के मामले में सजा काट रहे कैदी के फरार होने की घटना के बाद जेल प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया है। मामले की जांच पूरी होने के बाद जेल में पदस्थ चार प्रहरियों को गंभीर लापरवाही का दोषी पाते हुए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 311 के तहत सेवा से पदच्युत कर दिया गया है।
जेल मुख्यालय रायपुर ने भी इन बर्खास्ती आदेशों की पुष्टि कर दी है। यह (Prisoner Escape Case) न केवल जेल प्रशासन के लिए बड़ा झटका साबित हुआ है बल्कि पूरे विभाग के अनुशासन पर सवाल खड़े कर गया है।
Prisoner Escape Case इन्हें किया गया बर्खास्त
बता दें कि इस घटना के बाद जेल प्रशासन ने मामले की गहन जांच शुरू की थी। जांच अधिकारी की रिपोर्ट में यह सामने आया कि जेल सुरक्षा में गंभीर चूक हुई थी। इसी आधार पर केंद्रीय जेल अंबिकापुर में पदस्थ जेल प्रहरी नीलेश केरकेट्टा, लोकेश टोप्पो, ललईराम और चंद्र प्रकाश को दोषी ठहराया गया। जेल अधीक्षक ने चारों को अनुच्छेद 311 के तहत बर्खास्त करने की कार्रवाई की, जिसे जेल मुख्यालय ने भी मंजूरी दे दी है।
इसके अलावा, केंद्रीय जेल दुर्ग में पदस्थ जेल प्रहरी दिवाकर सिंह और केंद्रीय जेल बिलासपुर में पदस्थ प्रहरी समीर रौतिया के खिलाफ भी विभागीय जांच की गई। दोनों पर ड्यूटी में लापरवाही का आरोप सिद्ध हुआ है। इस पर पुलिस द्वारा वैधानिक कार्रवाई के साथ-साथ जेल प्रशासन ने विभागीय प्रक्रिया भी शुरू की है। यह (Prisoner Escape Case) राज्य के जेल सिस्टम में जवाबदेही और अनुशासन को लेकर चल रहे सख्त कदमों की एक बड़ी मिसाल बन गया है।
कैदी ऐसे हुआ था फरार
बिलासपुर जिले के ग्राम मल्हार निवासी मुकेश कांत पिता हरिप्रसाद (41 वर्ष) हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा था। वह पहले बिलासपुर केंद्रीय जेल में बंद था, लेकिन वहां किसी आपराधिक गतिविधि में संलिप्त पाए जाने पर वर्ष 2024 में उसे केंद्रीय जेल अंबिकापुर स्थानांतरित कर दिया गया था।
4 अक्टूबर को कैदी को यूरिन संबंधित बीमारी की शिकायत पर जेल प्रशासन के निर्देश पर मेडिकल कॉलेज अस्पताल अंबिकापुर में भर्ती कराया गया था। उसे अस्पताल के जेल वार्ड में रखा गया था, जहां जिला पुलिस बल के जवान सुरक्षा ड्यूटी पर तैनात थे।
सोमवार की सुबह ड्यूटी में तैनात आरक्षक आरोपी को शौचालय ले गया था। इसी दौरान कैदी ने पुलिसकर्मी को चकमा देकर फरार हो गया। काफी देर बाद भी जब वह बाहर नहीं आया, तो आरक्षक ने जाकर देखा तो बंदी नदारद था।
तत्काल उसने इसकी सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को दी और मणिपुर थाने में कैदी के फरार होने की रिपोर्ट दर्ज कराई गई। यह (Prisoner Escape Case) पूरे जेल प्रशासन के लिए एक सबक बन गया, क्योंकि इससे सुरक्षा व्यवस्था की खामियां स्पष्ट रूप से उजागर हुईं।
आरक्षक हुआ था सस्पेंड
घटना के तुरंत बाद एसपी राजेश अग्रवाल ने सुरक्षा में तैनात आरक्षक मदन लाल पैकरा को निलंबित कर दिया था। साथ ही पुलिस और जेल प्रशासन ने फरार कैदी की तलाश शुरू की थी। बाद में यह जानकारी मिली थी कि फरारी के बाद कैदी अपने गृह जिले बिलासपुर पहुंच गया था, जहां से आगे वह फरार हो गया।
अब जांच पूरी होने पर जेल प्रशासन ने चारों दोषी प्रहरियों को सेवा से बर्खास्त कर दिया है। विभाग का कहना है कि जेल सुरक्षा जैसी संवेदनशील जिम्मेदारी में लापरवाही को किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
पुलिस लेने पहुंची तो पी लिया सेनिटाइजर
बता दें कि बिलासपुर पुलिस की सूचना पर मणिपुर थाने की पुलिस उसे लेने बिलासपुर पहुंची थी। इस दौरान कैदी मुकेश कांत ने घर के पीछे जाकर सेनिटाइजर पी लिया। इसके बाद उसे सिम्स हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों का कहना था कि आरोपी ने दर्द निवारक दवा के साथ सेनिटाइजर का सेवन किया।
जेल में प्रताड़ित करने का आरोप
इस घटना को लेकर कैदी मुकेश कांत की पत्नी अमरीका बाई कुर्रे ने अंबिकापुर जेल में पति को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था। उसका कहना है कि उसे जेल में मिलने वाली सुविधाएं नहीं दी जाती थीं। उसका यह भी कहना था कि पति को बिलासपुर जेल में ही रखा जाए। यह बात भी सामने आई थी कि कैदी को सेंट्रल जेल अंबिकापुर से दूसरी जेल में शिफ्ट किया जा सकता है।