बीजापुर के अबूझमाड़ क्षेत्र में एक बड़े (Mahendra Goenka Land Controversy) विवाद ने राजनीतिक और सामाजिक हलचल मचा दी है। रायपुर के उद्योगपति महेंद्र गोयनका पर आदिवासी समुदाय की करीब 127 एकड़ पुश्तैनी जमीन कब्जाने का आरोप लगा है। प्रभावित ग्राम—बैल, धरमा, मरकापाल और बड़ेपल्ली के ग्रामीणों का कहना है कि उनकी ज़मीन बिना अनुमति के उद्योगपति के नाम दर्ज कर दी गई, जबकि उन्होंने कभी कोई सहमति नहीं दी थी।
जांच समिति का गठन, पर रास्ता रोका गया
इस पूरे विवाद के बाद कांग्रेस ने 9 सदस्यीय जांच समिति गठित की, ताकि सच्चाई सामने लाई जा सके। समिति के संयोजक संतराम नेताम और बीजापुर विधायक विक्रम मंडावी के नेतृत्व में 5 नवंबर को दल प्रभावित इलाकों के दौरे पर निकला। लेकिन (focus keyphrase: Land Dispute in Bijapur) के इस मामले में पुलिस ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए जांच दल को इंद्रावती नदी पार करने की अनुमति नहीं दी।
फिर भी ग्रामीण खुद नाव और पैदल रास्ते से नदी पार कर भैरमगढ़ ब्लॉक के इतमपार पंचायत स्थित उस्परी घाट पहुंचे और अपनी शिकायत समिति के सामने रखी।
आदिवासियों ने की FIR दर्ज करने की मांग
स्थानीय ग्रामीणों ने खुलकर आरोप लगाए कि उद्योगपति महेंद्र गोयनका और उनकी पत्नी मीनू गोयनका ने मिलीभगत से जमीन अपने नाम कराई है। उन्होंने समिति से गुहार लगाई कि दोनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो और ज़मीन वापस दिलाई जाए। समिति ने भैरमगढ़ एसडीएम को ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि यह केवल (Tribal Land Encroachment) का मामला नहीं, बल्कि शासन की संवेदनशीलता की परीक्षा भी है।
“नक्सल-मुक्त क्षेत्र का दावा खोखला” — जांच समिति
संतराम नेताम ने कहा कि सरकार नक्सल-मुक्त क्षेत्र का दावा करती है, परंतु पीड़ितों से मिलने से रोकना इस बात का प्रमाण है कि बड़े उद्योगपतियों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है। उन्होंने यह भी कहा कि जब आम आदिवासी अपनी जमीन के लिए न्याय की गुहार लगाते हैं, तो प्रशासनिक तंत्र मौन क्यों रहता है।
कांग्रेस ने उठाए शासन पर सवाल
कांग्रेस नेता और विधायक विक्रम मंडावी ने आरोप लगाया कि उद्योगपति ने इंद्रावती नदी पार कर 127 एकड़ जमीन पर कब्जा कर लिया, और यह बिना ग्रामसभा की अनुमति के किया गया। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर इस पूरे प्रकरण में शासन की भूमिका क्या रही। मंडावी ने कहा, “सरकार अगर पारदर्शिता का दावा करती है, तो जांच रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए।”
स्थानीय आक्रोश और जनभावना
इस (Mahendra Goenka Land Case) को लेकर स्थानीय जनमानस में गहरा आक्रोश है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर उनकी आवाज नहीं सुनी गई, तो वे सामूहिक आंदोलन करेंगे। दूसरी ओर, प्रशासनिक अधिकारी जांच की बात कह रहे हैं लेकिन अब तक किसी के खिलाफ औपचारिक कार्रवाई नहीं हुई है।
