सीजी भास्कर, 12 नवंबर। खरीफ विपणन वर्ष 2025-26 के लिए राज्य सरकार ने किसानों (Agristack Portal) को बड़ा निर्देश जारी किया है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि धान खरीदी में भाग लेने वाले सभी किसानों को अपने सभी खसरे (भूमि विवरण) एग्रीस्टैक पोर्टल पर अनिवार्य रूप से पंजीकृत कराने होंगे। ऐसा नहीं करने पर धान विक्रय में किसानों को परेशानी हो सकती है।
धान विक्रय से पहले कराएं सभी खसरे का पंजीयन
राज्य शासन ने कहा है कि जिन किसानों ने अब तक अपने छूटे हुए खसरे एग्रीस्टैक पोर्टल में दर्ज नहीं किए हैं, वे जल्द से जल्द यह प्रक्रिया पूरी करें। यह कदम इसलिए जरूरी है ताकि खरीदी सीजन के दौरान किसानों को भुगतान या रजिस्ट्रेशन संबंधी असुविधा न हो। एग्रीस्टैक पोर्टल केंद्र सरकार की एक महत्वाकांक्षी डिजिटल योजना है, जिसका उद्देश्य किसानों का भूमि, फसल और पहचान से जुड़ा डिजिटल रिकॉर्ड तैयार करना है। इस पोर्टल के माध्यम से किसानों को सरकारी योजनाओं का लाभ पारदर्शी और सुगम तरीके से प्राप्त हो सकेगा।
(Agristack Portal) कई किसानों के खसरे अभी बाकी
कृषि विभाग के अनुसार, प्रदेश के अधिकांश किसानों का एग्रीस्टैक पोर्टल पर पंजीयन तो हो चुका है, लेकिन कई किसानों के सभी खसरे (भूमि रिकॉर्ड) अभी तक अपलोड नहीं किए गए हैं। ऐसे किसान अपने छूटे हुए खसरे स्वयं पोर्टल में जोड़ सकते हैं या फिर निकटस्थ सीएससी (कॉमन सर्विस सेंटर) की मदद से यह कार्य पूरा कर सकते हैं।
प्रक्रिया सरल, कोई समय सीमा नहीं
विभाग ने बताया कि खसरा जोड़ने की प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन और निशुल्क है। इसके लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की गई है, लेकिन किसानों को सलाह दी गई है कि वे धान खरीदी की प्रक्रिया शुरू होने से पहले यह कार्य शीघ्रता से पूर्ण कर लें। एग्रीस्टैक पोर्टल से किसानों को भूमि स्वामित्व का डिजिटल रिकॉर्ड, योजनाओं में स्वचालित पात्रता सत्यापन, और भुगतान की पारदर्शी प्रक्रिया जैसी सुविधाएं मिलेंगी। जिन किसानों के पास इंटरनेट या तकनीकी सुविधा नहीं है, वे अपने निकटतम कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) जाकर आधार और भूमि रिकॉर्ड के आधार पर पंजीकरण या खसरा जोड़ने की प्रक्रिया करवा सकते हैं।
