सीजी भास्कर 19 दिसम्बर नौकरी बदलने वाले कर्मचारियों और उनके परिवारों के लिए राहत भरी खबर सामने आई है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने सर्विस से जुड़े नियमों में अहम स्पष्टता दी है। नए निर्देशों के मुताबिक, अब दो नौकरियों के बीच आने वाला वीकेंड या सरकारी छुट्टी कर्मचारी की सेवा को प्रभावित नहीं करेगी। इस फैसले से खासतौर पर बीमा और पेंशन से जुड़े मामलों में लंबे समय से चली आ रही उलझन दूर होगी, जिसे (EPFO service continuity rule) के तौर पर देखा जा रहा है।
वीकेंड या छुट्टी अब नहीं मानी जाएगी सर्विस ब्रेक
अब अगर कोई कर्मचारी शुक्रवार को एक कंपनी छोड़ता है और सोमवार को दूसरी कंपनी जॉइन करता है, तो शनिवार और रविवार की वजह से उसकी सेवा को टूटा हुआ नहीं माना जाएगा। पहले ऐसे मामलों में कई बार सर्विस ब्रेक दिखाकर कर्मचारियों या उनके परिवारों के क्लेम अटका दिए जाते थे। नए नियम से यह तकनीकी बाधा खत्म हो गई है, जिससे (EPFO job change benefit) सीधे तौर पर कर्मचारियों को फायदा देगा।
क्यों जरूरी था यह फैसला, कहां हो रही थी परेशानी
बीते समय में कई ऐसे मामले सामने आए, जहां मामूली गैप की वजह से कर्मचारियों के आश्रितों को बीमा का पूरा लाभ नहीं मिल पाया। सर्विस की गलत गणना के चलते क्लेम या तो खारिज हो गए या फिर कम राशि मिली। इन्हीं शिकायतों को ध्यान में रखते हुए नियमों को सरल और व्यावहारिक बनाया गया है, ताकि (EPFO EDLI claim) से जुड़े विवाद कम हों।
लगातार सेवा की नई परिभाषा क्या कहती है
अब वीकली ऑफ, नेशनल हॉलीडे, गजटेड या स्टेट हॉलीडे और रिस्ट्रिक्टेड छुट्टियों को सर्विस गैप नहीं माना जाएगा। इतना ही नहीं, नौकरी बदलते समय अगर अधिकतम 60 दिन तक का अंतर भी हो, तो भी सेवा को निरंतर माना जाएगा। यह बदलाव उन कर्मचारियों के लिए राहत है, जो जॉइनिंग डेट को लेकर असमंजस में रहते थे, और यह (continuous service EPFO) की नई सोच को दर्शाता है।
नॉमिनी और परिवारों के लिए बीमा में बड़ी राहत
नए नियमों के तहत अब एम्प्लॉइज डिपॉजिट लिंक्ड इंश्योरेंस स्कीम में न्यूनतम भुगतान की गारंटी भी दी गई है। कर्मचारी की मृत्यु की स्थिति में नॉमिनी या कानूनी वारिस को कम से कम 50,000 रुपये का भुगतान मिलेगा, भले ही कर्मचारी ने 12 महीने की लगातार सेवा पूरी न की हो। इससे (EPFO nominee benefits) को लेकर परिवारों की चिंता काफी हद तक कम होगी।
किन हालात में मिलेगा न्यूनतम भुगतान
अगर कर्मचारी की मृत्यु उसके आखिरी पीएफ योगदान के छह महीने के भीतर हो जाती है और वह नियोक्ता के रिकॉर्ड में दर्ज है, तो परिवार को न्यूनतम बीमा राशि का लाभ मिलेगा। इसका सीधा मतलब है कि अब परिवार को अपने हक के लिए लंबी प्रक्रिया या अनावश्यक विवादों से नहीं गुजरना पड़ेगा।


