13 मई 2025 :
Kedarnath Dham: केदारनाथ धाम की यात्रा में श्रद्धालुओं के लिए राहत भरी खबर सामने आई है. इक्वाइन इन्फ्लूएंजा वायरस डिजीज (ईआईवीडी) के चलते यात्रा मार्ग पर अस्थायी रूप से बंद किए गए घोड़े-खच्चर संचालन को अब चरणबद्ध तरीके से बहाल कर दिया गया है. इससे उन यात्रियों को बड़ी सुविधा मिली है, जो लंबा ट्रैक तय करने में असमर्थ हैं या विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिक हैं.
केदारनाथ यात्रा मार्ग पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु रोजाना दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं. शुरुआत में जब पशुओं में संक्रमण के लक्षण मिले, तो संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए प्रशासन ने यात्रा में घोड़े-खच्चरों की आवाजाही पर अस्थायी रोक लगा दी थी. इस निर्णय से यात्रा की रफ्तार पर असर पड़ा था, लेकिन अब हालात में सुधार आने के बाद इनका संचालन फिर से शुरू कर दिया गया है.
घोड़े-खच्चरों के संचालन पर सीवीओ ने क्या बोला?
पशुपालन विभाग और जिला प्रशासन ने संक्रमण की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सख्त निगरानी और जांच की प्रक्रिया अपनाई. इसके तहत कुछ घोड़े-खच्चरों को ट्रायल के तौर पर यात्रा मार्ग में भेजा गया. यह परीक्षण सफल रहा और इनमें संक्रमण के कोई लक्षण नहीं पाए गए. इसके बाद जिला प्रशासन ने जांच रिपोर्ट में पूरी तरह स्वस्थ पाए गए पशुओं को चरणबद्ध तरीके से यात्रा मार्ग पर भेजने की अनुमति दी.
सीवीओ डॉ. आशीष रावत के अनुसार, रविवार को 1,670 घोड़े-खच्चरों का संचालन सावधानीपूर्वक किया गया. इसके बाद सोमवार को यह संख्या बढ़कर 3,410 हो गई. इन सभी पशुओं की स्वास्थ्य जांच पहले की गई थी और केवल फिट पाए गए पशुओं को ही यात्रा मार्ग पर भेजा गया.
यात्रा मार्ग पर 3 स्थायी पशु जांच केंद्र स्थापित
यात्रा मार्ग पर किसी भी आपात स्थिति से बचने और घोड़े-खच्चरों के स्वास्थ्य की सतत निगरानी के लिए प्रशासन ने तीन स्थायी पशु जांच केंद्र स्थापित किए हैं. ये केंद्र सोनप्रयाग, गौरीकुंड और भीमबली में बनाए गए हैं. इन केंद्रों पर हर घोड़े-खच्चर की गहन जांच की जा रही है ताकि यात्रा पूरी तरह सुरक्षित और व्यवस्थित रह सके. जिला प्रशासन, केदारनाथ यात्रा प्रबंधन समिति और पशुपालन विभाग की संयुक्त टीमें लगातार निरीक्षण कर रही हैं. पशुओं के संचालकों को भी स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि बीमार पशुओं को किसी भी हाल में यात्रा में न लाया जाए.
चारधाम यात्रा के दौरान केदारनाथ यात्रा मार्ग में घोड़े-खच्चर संचालन का महत्व बेहद खास होता है, क्योंकि कई श्रद्धालु कठिन चढ़ाई को पार करने में असमर्थ होते हैं. ऐसे में इन पशुओं की उपलब्धता न केवल यात्रा को सरल बनाती है, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए भी आजीविका का प्रमुख स्रोत है.
पशु स्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता- अधिकारी
अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि पशु स्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है. यदि किसी भी स्थान पर संक्रमण के लक्षण दिखते हैं, तो तत्काल कदम उठाए जाएंगे. फिलहाल हालात नियंत्रण में हैं और तीर्थयात्रियों की सुविधा एवं सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए व्यवस्थाएं दुरुस्त की जा रही हैं.