पृथ्वी के गर्भ से एक ऐसा रहस्य सामने आया है, जो वैज्ञानिकों की अब तक की समझ को चुनौती देता है। भारतीय भूवैज्ञानिकों ने पाया है कि पृथ्वी की सबसे पुरानी (Ancient Earth Discovery) ग्रेनाइट जैसी चट्टानें जिन्हें फेल्सिक रॉक्स या टीटीजी (टोनेलाइट-ट्रेंडजेमाइट-ग्रेनोडायराइट) कहा जाता है एक नहीं, बल्कि दो बार पिघलने और दो बार पृथ्वी के भीतर धंसने (सबडक्शन) की प्रक्रिया से बनी हैं।
यह खुलासा वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान, देहरादून में आयोजित नौवीं नेशनल जियो रिसर्च स्कॉलर्स मीट में भारतीय इंजीनियरिंग विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (शिवपुर, हावड़ा) की शोधार्थी डॉ. रबिरशी चटर्जी ने किया। उनके अनुसार, यह खोज पृथ्वी की महाद्वीपीय पर्पटी (continental crust) के बनने की प्रक्रिया को समझने में एक बड़ा वैज्ञानिक मोड़ साबित होगी।
पहला धंसाव: 2.8 से 2.5 अरब वर्ष पहले
करीब 2.8 से 2.5 अरब साल पहले पृथ्वी की सतह ठंडी हो रही थी। उस समय महासागरीय परतें (Oceanic Crust) नीचे धंसकर अत्यधिक तापमान में पिघलीं और सिलिका-युक्त ग्रेनाइट चट्टानों में बदल गईं। इन्हीं को टीटीजी रॉक्स कहा गया — जो पृथ्वी पर महाद्वीपीय सतह बनने की पहली नींव मानी जाती हैं।
दूसरा धंसाव: फिर बनी नई ग्रेन्यूलाइट चट्टानें
हालांकि, अध्ययन से पता चला कि ये टीटीजी चट्टानें बाद में फिर से गहराई में धंस गईं। इस बार तापमान लगभग 800°C और दबाव 9-10 किलोबार तक पहुंच गया। इस प्रक्रिया में ये चट्टानें और कठोर, सघन और क्रिस्टलीय हो गईं। इन्हें ग्रेन्यूलाइट फैसिज रॉक्स कहा जाता है, जो आज दक्षिण भारत के नीलगिरि–नमक्कल क्षेत्र में पाई जाती हैं।
कैसे किया गया यह खुलासा
वैज्ञानिकों ने इन प्राचीन चट्टानों का रासायनिक और ताप-चाप विश्लेषण किया। उन्होंने इनमें मौजूद रेयर अर्थ एलिमेंट्स (REE) और अन्य खनिजों की तुलना की। इन साक्ष्यों से यह निष्कर्ष निकला कि ये चट्टानें सिर्फ एक नहीं, बल्कि दो बार पृथ्वी के गर्भ में जाकर पिघलकर पुनः बनीं। सरल शब्दों में कहें तो पृथ्वी की पुरानी रसोई में ये ग्रेनाइट चट्टानें दो बार पककर बनीं।
वैज्ञानिकों के लिए नई दिशा
इस अध्ययन ने अब तक मानी जा रही उस धारणा को बदल दिया है कि पृथ्वी की प्राचीन फेल्सिक रॉक्स केवल एक बार के धंसाव से बनी थीं। यह खोज न सिर्फ भूगर्भ विज्ञान की समझ को नया आयाम देती है, बल्कि पृथ्वी के विकासक्रम और प्रारंभिक महाद्वीपीय संरचना को समझने में अहम कड़ी बन सकती है।
