सीजी भास्कर, 13 अक्टूबर। ग्रामीण अंचलों में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (Biofloc Fish Farming) से आजीविका के नए अवसर खुल रहे हैं, जिससे ग्रामीण परिवार आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। इसी योजना के तहत अम्बिकापुर विकासखण्ड के ग्राम पंचायत कुल्हाड़ी के निवासी मदन राम ने अपने खेत की 30 डिसमिल भूमि का सदुपयोग करते हुए बायोफ्लॉक तकनीक (Biofloc Technology) से मछली पालन के लिए तालाब का निर्माण कराया है। यह तालाब पूरी तरह वैज्ञानिक पद्धति पर आधारित है, जिसमें जल की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए बायोफ्लॉक शीट, ऑक्सीजन मशीन, सबमर्सिबल पंप और जनरेटर जैसी आधुनिक सुविधाएँ लगाई गई हैं।
मछली पालन को एक व्यवसाय के रूप में शासन द्वारा ऋण पर सब्सिडी
मदन राम ने बताया कि बायोफ्लॉक तालाब (Biofloc Fish Pond) निर्माण पर कुल 14 लाख रुपए की लागत आई, जिसमें से उन्हें 60 प्रतिशत अर्थात 8 लाख 40 हजार रुपए की सब्सिडी प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत प्राप्त हुई। उन्होंने कहा कि इस तकनीक से मछलियों का विकास तेजी से होता है और उत्पादन अधिक मिलता है।
तालाब को पूरी तरह बायोफ्लॉक शीट से ढंक दिया गया है, जिससे जल की गुणवत्ता एवं तापमान नियंत्रित रहता है और मछलियों की वृद्धि में अनुकूल वातावरण मिलता है। उन्होंने बताया कि योजना की जानकारी प्राप्त करने के लिए उन्होंने मत्स्य पालन विभाग से संपर्क किया, जहाँ से उन्हें सभी आवश्यक मार्गदर्शन और तकनीकी सहायता मिली। पहले जहां खेती से सीमित आमदनी होती थी, वहीं अब बायोफ्लॉक मछली पालन से वे हर वर्ष लगभग दो लाख रुपए की शुद्ध आमदनी कर रहे हैं।
मछली बीज से आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम
मदन राम ने बताया कि पहले उन्होंने एक बार मछली का बीज डाला था, अब तालाब में मछलियाँ खुद ही बीज तैयार कर रही हैं। इससे मछली पालन की लागत घट गई है और मुनाफा और बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि खेती की तुलना में बायोफ्लॉक तकनीक (Biofloc Fish Farming) से मछली पालन में अधिक लाभ है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना ने उन्हें आत्मनिर्भर बनने का सुनहरा अवसर दिया है।
मत्स्य पालन स्व-रोजगार और बीमा सुरक्षा का माध्यम
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना मत्स्य पालन क्षेत्र में नीली क्रांति लाने के उद्देश्य से शुरू की गई एक महत्वपूर्ण योजना है। इसका मकसद उत्पादन बढ़ाना, निर्यात को दोगुना करना और ग्रामीणों को स्व-रोजगार (Self Employment) के अवसर देना है। योजना के तहत मछुआरों और मछली पालकों को वित्तीय सहायता, उपकरण और बीमा सुरक्षा प्रदान की जाती है। आकस्मिक मृत्यु, विकलांगता या अस्पताल में भर्ती होने पर लाभार्थियों को बीमा कवरेज भी मिलता है। बायोफ्लॉक तकनीक अपनाकर अब ग्रामीण किसान न केवल आत्मनिर्भर हो रहे हैं बल्कि राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत दिशा दे रहे हैं।