सीजी भास्कर,12 october (Chhattisgarh DMF Scam Investigation 2025) — छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित 575 करोड़ रुपये के डीएमएफ फंड घोटाले में अब ईडी (ED) ने जांच की रफ्तार और तेज कर दी है। एजेंसी को मिले नए दस्तावेज़ इस बात की पुष्टि करते हैं कि जिला स्तर पर लिए गए कई वित्तीय निर्णय, न सिर्फ़ नियमों के विरुद्ध थे, बल्कि कुछ भुगतान बिना किसी टेंडर प्रक्रिया (No Tender Allocation) के ही किए गए।
जिला स्तर की मंजूरियों पर उठे सवाल
जांच से जुड़े सूत्रों के अनुसार, DMF Fund Misuse से जुड़े जो कागजात मिले हैं, उनमें ऐसी फाइलें शामिल हैं जिनमें अधूरे कार्यों का भुगतान, फर्जी बिलों के आधार पर ट्रांजैक्शन, और तय दर से अधिक मूल्य पर सप्लाई जैसी गड़बड़ियां दर्ज हैं।
इन अनियमितताओं के कारण अब पूर्व कलेक्टरों की भूमिका पर भी संदेह जताया जा रहा है। क्योंकि डीएमएफ (District Mineral Foundation) की निगरानी प्रत्यक्ष रूप से जिला कलेक्टरों के अधीन होती है, इसलिए उनकी जवाबदेही तय होना लगभग तय माना जा रहा है।
सप्लायरों पर बढ़ा ईडी का शिकंजा
ईडी (ED Investigation) की टीम अब उन सप्लायरों पर ध्यान केंद्रित कर रही है जिन्होंने अपात्र ठेके (Ineligible Contracts) हासिल किए या बिना कार्य किए भुगतान उठाया। सूत्रों के अनुसार, एजेंसी ने 12 से अधिक सप्लायरों को समन भेजकर पूछताछ के लिए बुलाया है।
इनसे मोबाइल चैट, Bank Transactions और ईमेल रिकॉर्ड के ज़रिए पूछताछ की जा रही है। शुरुआती जांच में पाया गया कि कुछ सप्लायरों ने जिला अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर DMF फंड का दुरुपयोग (Collusion in Fund Misuse) किया।
जांच के दायरे में पूर्व अधिकारी और राजनीतिक कनेक्शन
ईडी को शक है कि इस मामले में प्रशासनिक और राजनीतिक गठजोड़ (Political-Administrative Nexus) की भूमिका भी रही है। कुछ फैसलों के पीछे ऐसे नाम उभर रहे हैं जिनके राजनीतिक प्रभाव से परियोजनाओं को मंजूरी मिली।
अधिकारियों का कहना है कि आने वाले दिनों में कुछ बड़े नामों पर कार्रवाई (Major Action Expected) संभव है।
पहले से गिरफ्तार आरोपियों की सूची
इस मामले में पहले ही कई प्रमुख नाम गिरफ्तार (Arrested Accused) किए जा चुके हैं —
निलंबित IAS अधिकारी रानू साहू, आदिवासी विभाग की सहायक आयुक्त माया वारियर, कारोबारी सूर्यकांत तिवारी, उपसचिव सौम्या चौरसिया, और कई अधिकारी जैसे मनोज द्विवेदी, भरोसा राम ठाकुर, भुनेश्वर सिंह राज, राधेश्याम मिर्झा, और वीरेंद्र कुमार राठौर शामिल हैं।
वहीं, संजय शेंडे, ऋषभ सोनी, और राकेश कुमार शुक्ला अब भी गिरफ्त से बाहर (Absconding Accused) बताए जा रहे हैं।
ED की जांच का नया फेज़
ईडी ने कहा है कि नए दस्तावेज़ों और बैंक रूट की जांच (Bank Route Analysis) के बाद, यह मामला और गहराई में जाएगा। अब ध्यान इस बात पर है कि फंड का असली उपयोग कहाँ और किसके लाभ के लिए किया गया।
जांच टीम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा,
“यह सिर्फ़ फंड का दुरुपयोग नहीं, बल्कि सिस्टम की गहराई तक फैला भ्रष्टाचार है। हम हर स्तर पर कनेक्शन ट्रेस कर रहे हैं।”
आने वाले दिनों में बड़े खुलासे की उम्मीद
जैसे-जैसे Chhattisgarh DMF Scam Investigation 2025 आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे नए नाम और पुरानी फाइलें खुल रही हैं। ईडी की नजर अब जिला कलेक्टरों की Approval Files, Vendor Payments, और Communication Trails पर है।
कयास हैं कि अगली लिस्ट में पूर्व वरिष्ठ अधिकारी और ठेकेदारों के बीच हुई बैठकों (Official Meetings) से जुड़ी जानकारियां सामने आ सकती हैं।