Chhattisgarh Hindi Sahitya Parishad Raipur मंत्री डॉ. टेकाम ने किया अशोक बंजारा की किताब का विमोचन
Chhattisgarh Hindi Sahitya Parishad Raipur रायपुर ! कोई लेखक या कवि जब अपने अनुभवों को शब्दों की मोतियों से पिरोकर उसे साहित्य रूपी माला का स्वरूप देता है तो वह साहित्य स्वयं में जीवंत हो जाता है। कुछ ऐसा ही जीवंत कहानियों का संकलन किया गया है सुप्रसिद्ध रचनाकार, लेखक श्री अशोक नारायण बंजारा द्वारा लिखित पुस्तक ‘गांव अभी जीयत हे‘ में। स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने बतौर मुख्य अतिथि आज होली हार्ट्स एजुकेशनल अकादमी सिविल लाइन में छत्तीसगढ़ हिंदी साहित्य परिषद रायपुर की ओर से आयोजित गरिमामय समारोह में किताब के अवसर पर इस आशय के विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि कहानियों के संकलन अपने आप में गांवों की धड़कन संजोये हुए हैं। इनकी कहानियां गांवों की यादों को तरोताजा करेंगी।
Chhattisgarh Hindi Sahitya Parishad Raipur मंत्री डॉ. टेकाम ने कहा कि कोई भी व्यक्ति किसी भी विधा में संघर्ष करने के बाद ही अपना नाम रोशन करता है। लेखक श्री बंजारा ने भी संघर्ष किया है। इस किताब में उनकी कहानी के रूप में उनका संघर्ष भी निहित है। उनके साहित्य में नैसर्गिकता और मौलिकता है। उन्होंने इस अवसर पर श्री बंजारा इस पुस्तक के लेखन और प्रकाशन के लिए बधाई एवं शुभकामना दी।
Chhattisgarh Hindi Sahitya Parishad Raipur कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. जे.आर. सोनी ने की। विशिष्ठ अतिथि के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार ईश्वरी प्रसाद यादव, होली हार्ट्स एजुकेशनल अकादमी के अध्यक्ष व संस्थापक आचार्य सुरेंद्र प्रताप सिंह, अतिथि वक्ता में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. मृणालिका ओझा, रामेश्वर वर्मा, डॉ. माणिक विश्वकर्मा, श्री संतोष कश्यप आदि मौजूद थे। सभी ने पुस्तक के साहित्य पर अपने विचार व्यक्त किए।
पुस्तक की समालोचना भी होनी चाहिए: बंजारा
Chhattisgarh Hindi Sahitya Parishad Raipur लेखक श्री अशोक नारायण बंजारा ने कहा कि लेखक के साहित्य की समालोचना भी होनी चाहिए ताकि वह अपनी गलतियों को दोबारा सुधार सके। उन्होंने कहा कि इस ग्रंथ में उनके मित्रों, स्वजनों, उनकी पत्नी की अहम भूमिका रही। श्री बंजारा द्वारा लिखत यह किताब कहानियों का दूसरा संकलन है। इसके कवर पेज की डिजाइन शिवांश इंटरनेशनल स्कूल कुंरा की डायरेक्टर हिमांशी शर्मा ने की है। इसमें 18 कहानियों को चयनित किया गया है। प्रत्येक कहानी विषय बिंदु को विस्तार देती हुई लक्ष्य तक पहुंचती है। संकलन की चार कहानियां ‘हिरदे के सपना‘, ‘गढ़ कलेवा‘, ‘मोर चंदा‘ और ‘संगवारी के छइहां‘ पूरी तरह से नायिका प्रधान है। इसी तरह ‘हिरदे के सपना‘ की रोशनी शादी होने के बाद अपना सपना पूरा करने के लिए घर-गृहस्थी का काम संभालने के लिए अध्ययन जारी रखती है। परीक्षा सफल करने के बाद वह शिक्षिका बन जाती है। कहानी में लेखक ने बखूबी बयां किया है कि किस तरह आजकल छत्तीसगढ़ की कस्बाई भाषा के दर्शन होते हैं। गांवों में अब ठेठ छत्तीसगढ़ी बोलने वाले बुजुर्गों की कमी होने लगी है। जगह-जगह पाठशालाएं खुल गई हैं, जहां शिक्षा के माध्यम हिंदी है। इसी कारण छत्तीसगढ़ी में हिंदी का प्रभाव देखने में आ रहा है।
पूर्व में श्री बंजारा द्वारा काव्य संग्रह ‘करिया बेटा‘, कहानी संग्रह ‘अंतस के आरो‘ भी लिखा गया है। उन्हें बेस्ट इनोवेशन एंड एडमिनिस्ट्रेशन का सम्मान मानव संसाधन विकास मंत्रालय से मिल चुका है।