सीजी भास्कर, 25 अप्रैल। छत्तीसगढ़-तेलंगाना-महाराष्ट्र सीमा पर नक्सलियों (Chhattisgarh Naxal Encounter) के खिलाफ बड़ा अभियान चल रहा है। जिसमें लगभग 5,000 जवान शामिल हैं। इस ऑपरेशन में हिड़मा, दामोदर, देवा सहित कई प्रमुख नक्सलियों और उनकी बटालियनों को घेर लिया गया है।
यह अभियान कर्रेगट्टा, नडपल्ली और पुजारी कांकेर की पहाड़ी पर चल रहा है, जहां लगभग 300 नक्सलियों के मौजूद होने की सूचना है। बुधवार रात तक, यह ऑपरेशन 48 घंटे से अधिक समय से जारी है और दोनों पक्षों के बीच रुक-रुक कर फायरिंग हो रही है।
इंटेलिजेंस रिपोर्ट के अनुसार, नक्सलियों (Chhattisgarh Naxal Encounter) के पास पर्याप्त राशन और पानी नहीं है और यदि कुछ है भी तो वह केवल कुछ दिनों के लिए ही चलेगा। तीनों राज्यों की सुरक्षा बलों ने चारों ओर से पहाड़ी को घेर रखा है। यदि नक्सली नीचे आते हैं या किसी भी राज्य की ओर बढ़ते हैं, तो उनका एनकाउंटर होना निश्चित है।
इस क्षेत्र में नक्सलियों की बटालियन नंबर 1, 2 और अन्य कंपनियां सक्रिय हैं। प्रमुख नेता जैसे हिड़मा, देवा, और विकास के साथ-साथ आंध्र, तेलंगाना और महाराष्ट्र की सेंट्रल कमेटी, DKSZCM (दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी), DVCM (डिविजनल कमेटी मेंबर), ACM (एरिया कमेटी मेंबर) और संगठन सचिव जैसे उच्च स्तर के नक्सली भी यहां मौजूद हैं।
अब तक प्राप्त जानकारी के अनुसार, महाराष्ट्र से C-60 कमांडोज, तेलंगाना से ग्रेहाउंड्स, और छत्तीसगढ़ से DRG के हजारों जवान लगभग एक सप्ताह का राशन लेकर ऑपरेशन पर निकले हैं।
तेलंगाना के मुलुगु जिले का वेंकटपुरम, छत्तीसगढ़ के नम्बी, पुजारी कांकेर और उसूर के निकट स्थित है। यह क्षेत्र नक्सली कमांडर हिड़मा और देवा के पैतृक गांव पूवर्ती से 20 से 30 किलोमीटर की दूरी पर है। पूवर्ती से आगे रायगुडेम तक सुरक्षा बलों का एक कैंप स्थापित किया गया है।
सूत्रों के अनुसार, नक्सलियों (Chhattisgarh Naxal Encounter) का रसद सामान मुख्य रूप से पुजारी कांकेर और नम्बी से भेजा जाता था। पहले पूवर्ती से भी आवश्यकताओं की पूर्ति होती थी, लेकिन अब सुरक्षा बल वहां तक पहुंच चुके हैं। वहीं, तेलंगाना के वेंकटपुरम से भी नक्सली अपनी जरूरतें पूरी करते थे, लेकिन सुरक्षा बलों ने उनकी सप्लाई चेन को तोड़ दिया है।
मिशन 2026 : एक्शन में फोर्स (Chhattisgarh Naxal Encounter)
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने घोषणा की है कि 31 मार्च 2026 तक देशभर से नक्सलियों का सफाया कर दिया जाएगा। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए सुरक्षा बलों को पूरी स्वतंत्रता दी गई है। छत्तीसगढ़, तेलंगाना और महाराष्ट्र में बल सक्रिय रूप से कार्य कर रहे हैं।
यदि इस ऑपरेशन में जवान सफल होते हैं और नक्सलियों (Chhattisgarh Naxal Encounter) को गंभीर नुकसान पहुंचाते हैं, तो यह नक्सलवाद से मुक्ति की अंतिम लड़ाई साबित हो सकती है। खासकर हिड़मा, देवा और दामोदर के मरने से छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद का लगभग अंत हो जाएगा।