सीजी भास्कर, 06 जून। छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (Child Rights Protection Commission) ने बालोद जिले में एक नाबालिग बालिका के साथ हुई मारपीट की घटना को गंभीरता से लेते हुए कड़ा रुख अपनाया है।
आयोग की अध्यक्ष डॉ. वर्णिका शर्मा ने मामले में जुवेनाइल जस्टिस एक्ट की धारा 75 (बच्चों के प्रति क्रूरता) को पुलिस द्वारा अभियोग पत्र में शामिल न किए जाने पर नाराज़गी जताई है और इस संबंध में पुलिस अधीक्षक बालोद को 2 जून 2025 को सख्त पत्र जारी किया है।
मामला (Child Rights Protection Commission) एक पारिवारिक विवाद से जुड़ा है, जिसमें एक महिला और उसकी नाबालिग पुत्री के साथ गाली-गलौज और मारपीट की गई थी। आयोग की सुनवाई में यह तथ्य सामने आया कि घटना के दौरान आरोपी ने नाबालिग बच्ची को धक्का देकर गिरा दिया, जिससे उसके सिर में चोट आई और चक्कर व धुंधलापन जैसे लक्षण शुरू हो गए।
छत्तीसगढ़ बाल कल्याण समिति द्वारा इस मामले में पुलिस को जुवेनाइल जस्टिस एक्ट की धारा 75 के तहत मामला दर्ज करने के निर्देश दिए गए थे, बावजूद इसके चालान पेश करते समय इस धारा को शामिल नहीं किया गया। इस पर कड़ा संज्ञान लेते हुए डॉ. शर्मा ने अभियोग पत्र में उक्त धारा को जोड़ते हुए तत्काल कार्यवाही सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
प्रकरण को क्रमांक 1297/25 के अंतर्गत पंजीबद्ध कर आयोग (Child Rights Protection Commission) ने इसकी समीक्षा शुरू कर दी है।
डॉ. शर्मा ने स्पष्ट कहा कि बच्चों के साथ किसी भी प्रकार की क्रूरता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। आयोग बच्चों के हितों की रक्षा हेतु पूरी गंभीरता से कार्य कर रहा है! यह सख्त रुख न केवल कानून व्यवस्था को बच्चों के हित में संवेदनशील बनाने का प्रयास है, बल्कि राज्य में बच्चों के प्रति होने वाली हिंसा को रोकने की दिशा में एक ठोस कदम भी है।