सीजी भास्कर, 27 अक्टूबर | रायपुर। राज्य की (Dial-112 Tender) प्रक्रिया को लेकर फिर से बहस छिड़ गई है। पुलिस मुख्यालय ने 400 से ज्यादा इमरजेंसी गाड़ियों के संचालन के लिए नया टेंडर जारी किया है। इस बार नियमों में बड़ा बदलाव किया गया है — अब केवल लिमिटेड या प्राइवेट लिमिटेड कंपनियां ही नहीं, बल्कि सोसायटी और ट्रक-बस ऑपरेटर्स भी इसमें भाग ले सकते हैं।
यह फैसला अचानक लिया गया, जिससे कई कंपनियों और विशेषज्ञों में सवाल उठने लगे हैं कि आखिर शर्तों को इतनी जल्दी क्यों बदला गया।
पहले दो टेंडर में नियम एक जैसे, अब जोड़ा गया नया प्रावधान Dial-112 Tender
(Police Headquarters Tender) दस्तावेज़ों के अनुसार, वर्ष 2017 में जारी पहली टेंडर गाइडलाइन एडीजी स्तर की कमेटी ने तय की थी। इन्हीं नियमों के आधार पर 2024-25 का टेंडर भी जारी हुआ था।
लेकिन सरकार बदलने के बाद उसे निरस्त कर दिया गया। अब तीसरी बार निकले इस टेंडर में एक नई श्रेणी जोड़ दी गई है — सोसायटी (Society)।
हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि यह सोसायटी किस प्रकार की होगी। सूत्रों का कहना है कि इस बदलाव से किसी “विशेष फर्म” को लाभ मिलने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।

अमलेश्वर में खड़ी हैं 400 नई गाड़ियां
पुलिस मुख्यालय ने हाल ही में 400 नई (Emergency Service Vehicles) खरीदी हैं, जिनकी कीमत लगभग 15 लाख रुपये प्रति गाड़ी है।
ये सभी 2024-25 मॉडल की हैं और फिलहाल अमलेश्वर बटालियन में पार्क हैं। अनुबंधित कंपनी का कार्यकाल जनवरी तक बढ़ा हुआ है, इसलिए नई गाड़ियां करीब छह महीने तक निष्क्रिय रहने की संभावना है।
फरवरी से पहले किसी नई एजेंसी को ठेका दिया जाना आवश्यक होगा, ताकि सेवा बाधित न हो।

टेंडर में शामिल कंपनियों में पुराने खिलाड़ी भी
सूत्रों के मुताबिक, इस बार टेंडर प्रक्रिया में जीवीके, जय अंबे, सम्मान फाउंडेशन, कैम्प, बीवॉयजी और विजन प्लस जैसी कंपनियां शामिल हुई हैं।
इनमें से दो कंपनियां पहले भी छत्तीसगढ़ में (108 Ambulance Service) चला चुकी हैं।
कयास यह भी हैं कि इन्हीं में से किसी एक को डायल-112 संचालन का अनुबंध मिलने की संभावना ज्यादा है, क्योंकि उनके पास पहले से ही इमरजेंसी सर्विस का अनुभव है।
एमपी मॉडल का असर दिखा छत्तीसगढ़ में : Dial-112 Tender
मध्यप्रदेश में (Emergency Response Service) का संचालन एक सोसायटी को सौंपा गया है। वहां वही संस्था गाड़ियां खरीदने और चलाने दोनों का काम करती है।
छत्तीसगढ़ में भी इसी मॉडल को अपनाने की तैयारी दिख रही है।
सूत्र बताते हैं कि अब तकनीकी और ऑपरेशनल जिम्मेदारी अलग-अलग संस्थाओं को दी जाएगी — आईटी का काम सी-डैक (C-DAC) देखेगी, जबकि संचालन का ठेका किसी निजी संस्था को मिलेगा।
नए नियमों में बढ़ा टर्नओवर और अनुभव का दबाव
इस बार जारी टेंडर शर्तों में तीन नए प्रावधान खास हैं —
- पिछले तीन वर्षों का लगातार अनुभव (Back-to-Back Experience) अनिवार्य किया गया है।
- 75 करोड़ रुपये का फील्ड सर्विस टर्नओवर अनिवार्य शर्त है।
- और खास बात, इसमें “इमरजेंसी” शब्द का सीधा उल्लेख नहीं है, जिससे कई पुरानी एजेंसियां अब तकनीकी रूप से पात्र नहीं रह गईं।
ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह नियम किसी एक वर्ग को फ़ायदा पहुँचाने के लिए बनाए गए हैं।
Dial-112 Tender दो माह में पूरा होगा चयन, फिर तय होगा ठेका
इस प्रक्रिया की अंतिम तिथि 29 अक्टूबर रखी गई है।
कलेक्शन और प्री-बिड राउंड के बाद दो महीने में अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
पुलिस मुख्यालय का दावा है कि यह नया (Dial-112 Tender) पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी होगा, हालांकि कई कंपनियों ने इसे “अचानक और अस्पष्ट” बताया है।
