सीजी भास्कर, 23 अक्टूबर। गांव में हाथियों के आने की सूचना समय पर मिले, इसके लिए वन विभाग अब (Elephant Alert System) के तहत हैंगिंग सोलर फेंसिंग लगाने जा रहा है। हाथियों के गांव के 200 मीटर के दायरे में आते ही खंभे में लगी सेंसर युक्त फेंसिंग लोगों को सतर्क कर देगी। क्षेत्र के हाथी मित्रों व ग्रामीणों के मोबाइल की घंटी बजेगी और रिकार्डिंग कॉल की तरह हाथी के आने की सूचना प्रसारित कर दी जाएगी। हाथियों को गांव तक पहुंचने से रोकने के लिए प्रत्येक पहुंच मार्ग पर खंभे लगाए जाएंगे।
दो खंभों के बीच झालर पद्धति से सोलर वायर लटकाए जाएंगे। इससे निकलने वाली रोशनी, ध्वनि व हल्की चोट से हाथी वापस लौट जाएंगे। इसके साथ ही (Elephant Alert System) मोबाइल पर सूचना ग्रामीणों तक पहुंच जाएगी। यदि कोई उग्र हाथी सिस्टम ध्वस्त कर अंदर घुस भी गया, तो समय पर सूचना मिलने से ग्रामीण सुरक्षित स्थान तक जा सकेंगे। यह सिस्टम सोलर सिस्टम व बैटरी से संचालित होगा।
हाथियों के उत्पात से परेशान ग्रामीण
25 साल से भी अधिक समय से कोरबा जिले में हाथियों की आवाजाही है। कटघोरा वनमंडल के पसान व केंदई दो ऐसे रेंज हैं, जहां 50 हाथी पिछले चार साल से जमे हैं। जंगल में भोजन की कमी के कारण हाथियों का दल गांव की ओर आता है। हाथी फसलों और कच्चे मकानों को क्षतिग्रस्त कर देते हैं। कई बार ग्रामीणों की भी जान हाथी ले चुके हैं। अपनी फसलों को बचाने के लिए किसान खेतों की मेड़ पर करंट प्रवाहित तार लगा देते हैं, जिससे कई हाथी भी अपनी जान गंवा चुके हैं। यह मानव-हाथी संघर्ष (Human-Elephant Conflict) पिछले एक दशक से जारी है।
लेमरू अभयारण्य को हाथियों के अनुकूल किया जा रहा विकसित
सरकार ने इस समस्या से निपटने लेमरू अभयारण्य तैयार किया है। इस क्षेत्र को हाथियों के अनुकूल विकसित किया जाना है। साथ ही ऐसे उपकरण भी लगाए जा रहे हैं, जिससे किसानों की फसलें व मकान सुरक्षित रहें। लेमरू हाथी अभयारण्य में आने वाले तीन जिलों के चार वनमंडल—धरमजयगढ़, कोरबा, कटघोरा व सरगुजा—को पहले चरण में शामिल किया गया है। यहां हाथी और ग्रामीण दोनों की सुरक्षा के लिए (Elephant Alert System) लागू किया जा रहा है।
इसके लिए 109 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट तैयार किया गया है, जिसमें चबूतरे, सेफ हाउस और चेतावनी उपकरणों की स्थापना शामिल है। कटघोरा डीएफओ एवं लेमरू अभयारण्य प्रभारी कुमार निशांत ने बताया कि लालपुर, लोड़ीबहरा, खुरूपारा, केंदई, पसान क्षेत्रों में इस तकनीक का उपयोग किया जाएगा। फिलहाल लेमरू अभयारण्य क्षेत्र में 200 से अधिक हाथी विचरण कर रहे हैं।
दो साल में दस ग्रामीण व पांच हाथियों की मौत
पिछले दो साल में कोरबा जिले में हाथियों की चपेट में आकर दस ग्रामीणों की मौत हुई है, जबकि पांच हाथियों की भी जान चली गई है। वन विभाग ग्रामीणों को हाथियों के बीच रहने की कला सिखा रहा है। इसके लिए शिविर और नाट्य मंचन के माध्यम से हाथियों के व्यवहार और आहार के प्रति जागरूकता फैलाई जा रही है। विभागीय कर्मचारियों को भी क्षमता विकास का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।