सीजी भास्कर, 12 अक्टूबर। छत्तीसगढ़ की राजनीति में भूचाल लाने वाला खुलासा रविवार को सामने आया, जब प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन (EOW ACB Conspiracy Proofs) में आयोजित प्रेस वार्ता में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज, नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और वरिष्ठ नेताओं ने ईओडब्ल्यू/एसीबी पर गंभीर आरोप लगाए। कांग्रेस ने दावा किया कि जांच एजेंसी ने अदालत की प्रक्रिया को धता बताते हुए “फर्जी बयान तैयार” कर उसे न्यायिक दस्तावेज बना दिया, जिससे यह साबित होता है कि अदालतों और जांच एजेंसियों के बीच खतरनाक स्तर की सांठगांठ (Judiciary Investigation Collusion) चल रही है।
दो फॉन्ट और अदालत की भूमिका संदिग्ध
कांग्रेस नेताओं (EOW ACB Conspiracy Proofs) ने कहा कि ईओडब्ल्यू/एसीबी ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के तहत दर्ज बयान को पेन ड्राइव से अदालत में पेश किया। फॉरेंसिक जांच में दो अलग-अलग फॉन्ट पाए गए, जबकि हाईकोर्ट ने सभी अदालतों को केवल “ऊबन्तू” फॉन्ट उपयोग करने के निर्देश दिए हैं। यह स्पष्ट करता है कि बयान अदालत में नहीं बल्कि एजेंसी के कार्यालय में टाइप किया गया (Fake Judicial Document Case) और पेन ड्राइव में लाकर मजिस्ट्रेट के समक्ष जमा कराया गया।

कांग्रेस का दावा है कि यह सिर्फ न्यायिक प्रक्रिया का उल्लंघन नहीं, बल्कि एक आपराधिक षड्यंत्र (Criminal Conspiracy by EOW ACB) है। भूपेश बघेल ने कहा, “अगर अदालत और जांच एजेंसियां साथ मिल जाएं तो फिर जनता का न्याय में विश्वास खत्म हो जाएगा। लोकतंत्र का अस्तित्व ही दांव पर लग जाएगा।”
कैसे हुआ खुलासा
कथित कोयला घोटाले (अपराध क्रमांक 02/2024, 03/2024) के मामले में अभियुक्त सूर्यकांत तिवारी की ज़मानत याचिका के दौरान सुप्रीम कोर्ट में पेश दस्तावेजों से यह खुलासा हुआ। इनमें सह-अभियुक्त निखिल चंद्राकर का धारा 164 के तहत बयान शामिल था जो अदालत की सीलबंद फाइल से बाहर निकलकर सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंच गया। कांग्रेस ने पूछा “क्या अदालतों की भी सहमति इस अपराध में शामिल थी?”
वरिष्ठ अधिवक्ता गिरीश देवांगन ने इस पूरे प्रकरण की जांच फॉरेंसिक विशेषज्ञ इमरान खान से करवाई। रिपोर्ट में स्पष्ट हुआ कि बयान का फॉन्ट अदालत के रिकॉर्ड से मेल नहीं खाता। देवांगन ने इस रिपोर्ट को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी रायपुर के समक्ष प्रस्तुत करते हुए एजेंसी के तीन अधिकारियों अमरेश मिश्रा, राहुल शर्मा और चंद्रेश ठाकुर पर आपराधिक मुकदमा चलाने की मांग की है।
कांग्रेस ने रखी 5 प्रमुख मांगें
उच्च स्तरीय न्यायिक जांच कराई जाए ताकि यह स्पष्ट हो सके कि किन अदालतों में और किन मामलों में ऐसे फर्जी बयान पेश किए गए।
ईओडब्ल्यू/एसीबी के निदेशक और संबंधित अधिकारियों को पद से तत्काल हटाया जाए।
जांच पूरी होने तक इन अधिकारियों को किसी अन्य प्रशासनिक जिम्मेदारी से दूर रखा जाए।
यह सुनिश्चित किया जाए कि भविष्य में कोई भी एजेंसी अदालत को गुमराह न कर सके।
इस मामले को माननीय उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के संज्ञान में लिया जाए ताकि देश में न्याय की गरिमा बनी रहे।

लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी
कांग्रेस ने कहा कि यह मामला केवल छत्तीसगढ़ का नहीं, बल्कि पूरे भारत के लोकतंत्र और न्याय व्यवस्था (Threat to Democracy and Judiciary) के लिए खतरे की घंटी है।
डॉ. चरणदास महंत ने कहा “अगर न्यायपालिका और जांच एजेंसियां राजनीतिक दबाव में आकर षड्यंत्र रचने लगें, तो फिर संविधान की आत्मा का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा।”
वहीं, भूपेश बघेल ने कहा कि भाजपा की सरकार में जांच एजेंसियां विपक्ष को निशाना बना रही हैं और अब अदालतें भी उस दबाव में काम करती दिख रही हैं।
पत्रकारवार्ता में सत्यनारायण शर्मा, मोहम्मद अकबर, डॉ. शिवकुमार डहरिया, छाया वर्मा, राजेंद्र तिवारी, सुशील आनंद शुक्ला, विकास उपाध्याय, धनंजय ठाकुर, मलकीत गैदू, घनश्याम राजू तिवारी, नितिन भंसाली सहित कई वरिष्ठ कांग्रेसी मौजूद रहे।