सीजी भास्कर 16 अप्रैल वक्फ कानून के खिलाफ पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में भड़की हिंसा के बाद की जांच में कई बड़े खुलासे हो रहे हैं. जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है बाहरी साजिशों के खतरनाक मंसूबे भी सामने आ रहे हैं. जांच में जुटी एजेंसियों को इस हिंसा के पीछे आईएसआई की योजना काम करती नजर आ रही है. पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई बांग्लादेश के लोगों की मदद से कुछ बड़ा करने की साजिश रच रही है.राष्ट्रीय जांच एजेंसियों को मुर्शिदाबाद हिंसा में आईएसआई के शामिल होने की आशंका नजर आ रही है. फरवरी महीने में आईएसआई के 3 अधिकारियों ने ढाका और शिलेट का दौरा किया था और प्रतिबंधित संगठन के 5 हुजूर (HUJUR) के साथ बैठक की.
पाकिस्तान की आईएसआई के पास पश्चिम बंगाल में घुसपैठ करने का क्लियर रूट है. कई मामलों में ये तत्व उचित वीजा के साथ भारत आ रहे हैं और फिर पहचान बदलकर स्लीपर सेल के रूप में काम कर रहे भीड़ के बीच गायब हो रहे हैं.हमले की तैयारी के लिए 3 सेमिनारमहाराष्ट्र के प्रतिबंधित संगठन के 6 वांछित लोग बंगाल आए और हमले की तैयारी के लिए मुर्शिदाबाद में 3 सेमिनार का आयोजन किया. सूत्रों के अनुसार, कुछ ऐसे अंदरूनी लोग भी हैं जो वक्फ संशोधन अधिनियम के बारे में देश में होने वाले घटनाक्रम को लेकर इन लोगों को राजनीतिक रूप से जागरूक भी करते हैं.दावा किया जा रहा है कि इन लोगों ने आपस में बातचीत के लिए कोड भाषा भी तैयार की है. जांचकर्ता हुजूर, दावत, जलसा, हिजाब, पर्दा, फूल, बारिश जैसे शब्दों के जरिए एक तार जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, जिनका इस्तेमाल आतंकवाद से जुड़े काम के लिए कोड भाषा के रूप में किया जाता है.
गाय-बकरी मतलब हिंदूजैसे की दावत यानी बड़ी घटना, पर्दा और हिजाब या भेष, जलसा यानी कई लोगों की भागीदारी, हुजूर यानी मास्टरमाइंड, फूल यानी पत्थर, बारिश यानी पथराव, आलू का मतलब लूटा हुआ उत्पाद, पानी यानी पेट्रोल बम, घर यानी बांग्लादेश, गाय, बकरी का मतलब हिंदू, फाल मतलब घटना का परिणाम.वक्फ संशोधन अधिनियम के विरोध में मुर्शिदाबाद के अलग-अलग हिस्सों में ‘उपद्रवियों’ की ओर से किए गए प्रदर्शन का ‘ब्लूप्रिंट’ धुलियान के एक शैक्षणिक संस्थान के कैंपस में तैयार किया गया था.हमलावर ऐसे ही एक मुद्दे की तलाश में थे, जिसका इस्तेमाल वे बड़े हमले के रूप में कर सकें. वक्फ अधिनियम को लेकर हो रहे विरोध से इसे मौका मिल गया. पिछले साल अक्टूबर 2024 के मध्य में मुर्शिदाबाद में एक ‘सेमिनार’ में एक प्रतिबंधित संगठन ने एक नवनिर्मित युवा संगठन का गठन किया जिसमें बांग्लादेश का एक आतंकी समूह और महाराष्ट्र के एक धार्मिक संगठन के ‘प्रमुख’ चुने गए.बांग्लादेश हिंसा में ‘रहमानी’ का आदेशबांग्लादेश में शेख हसीना को सत्ता से हटने के दौरान वहां पुलिस पर हमला किया गया, हत्या की गई, हथियारों से लूटपाट की गई, रेल और सड़क बाधित की गई, उसी तरह अराजकता की योजना कहीं और
बनाई गई. एक ‘डीजेनरेटेड’ राजनीतिक दल, एक प्रतिबंधित संगठन और कुछ तथाकथित मानवाधिकार अधिवक्ता एक उग्रवादी संगठन के प्रमुख ‘रहमानी’ के आदेश पर ‘पूरी’ घटनाक्रम में शामिल थे.इसी तरह खुफिया सूत्रों का कहना है कि यहां पर यह तय हुआ था कि समशेरगंज, श्रीति और धुलियान के अलावा जंगीपुर, निमतिता और सागरदिघी पर एक साथ ‘हमला’ किया जाए. लेकिन पुलिस और सरकारी कर्मचारियों पर जानलेवा हमले की योजना भी नाकाम कर दी गई. लेकिन असम और बंगाल की एसटीएफ ने बांग्लादेश में उग्रवादी संगठन के कैडरों और स्लीपर सेल के खिलाफ लगातार अभियान चलाया, जिससे उनकी योजना को झटका लगा. फिर नया वक्फ बिल सामने आया. और फिर इधर-उधर पड़े रहने के बाद ‘चकरी’ योजना को लागू करने की राह पर चल पड़े.हमलावर बिहार-झारखंड और बांग्लादेश से आएबताया जा रहा है कि इस अप्रैल की शुरुआत में उस शैक्षणिक संस्थान में वार्षिक योजना को अंतिम रूप दिया गया. एक प्रतिबंधित संगठन के 3 लोग, कुछ स्वयंभू ‘हुजूर’, महाराष्ट्र के उस धार्मिक संगठन के 6 लोग समेत कुल 25-30 लोग उस शाम को अराजकता को अंतिम रूप देने के लिए मिले.
जासूसों के मुताबिक, ‘तांडव’ प्रकरण को योजना के मुताबिक अंजाम देने के लिए करीब 20 करोड़ रुपये का बजट रखा गया था. मुर्शिदाबाद के कुछ ‘शुभचिंतकों’ के अलावा, तुर्की से (कोलकाता के रास्ते) महाराष्ट्र, झारखंड के पाकुड़, बिहार के किशनगंज और कुछ एनजीओ के नाम पर ‘हंगामा फंड’ में पैसा पहुंचा.पिछले गुरुवार से समशेरगंज, सुती और धुलियान के अलग-अलग इलाकों में शुरू हुए दंगों और हमलों में कई नकाबपोश ‘बैकपैक’ वाले युवक इस हिंसा में शामिल दिखे. ये युवक समशेरगंज, धुलियान और सुती के अलग-अलग इलाकों में चुने गए घरों पर हमला करने और लूटपाट करने में भी शामिल दिखे. जासूसों का कहना है कि ये बिहार-झारखंड और बांग्लादेश से आए ‘भाड़े के लुटेरे’ थे.