छत्तीसगढ़ में सिंघानिया के करीबी अब भी कर रहे जिला कोआर्डिनेट, BIS में संदिग्धों की भूमिका पर उठने लगे हैं सवाल

रायपुर में कल हुई छापेमारी ने बता दिया कि पुराने ढर्रे पर गणित करने वाले दागी अब भी सिस्टम में कर रहे हैं “खेला”
सीजी भास्कर, 08 जुलाई। छत्तीसगढ़ राज्य के बहुचर्चित शराब घोटाला की तर्ज पर ही झारखंड में भी भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) की कार्रवाई लगातार तेज होती जा रही है।
इसी क्रम में झारखंड ACB ने छत्तीसगढ़ की शराब आपूर्ति कंपनी श्री ओम साईं बेवरेज प्राइवेट लिमिटेड के दो निदेशकों – अतुल कुमार सिंह और मुकेश मनचंदा को पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया है।
सोमवार को रांची बुलाए गए दोनों कारोबारियों से घंटों पूछताछ के बाद देर शाम एसीबी ने उन्हें हिरासत में ले लिया। आज यानि मंगलवार को दोनों को रांची स्थित ACB की विशेष अदालत में पेश किया जाएगा।
इन गिरफ्तारियों के साथ अब तक इस घोटाले में कुल 10 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। पहले गिरफ्तार किए गए आरोपियों में झारखंड उत्पाद विभाग के कई पूर्व अधिकारी और निजी कंपनियों के प्रतिनिधि शामिल हैं, जिनमें पूर्व प्रधान सचिव विनय कुमार चौबे, संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह, पूर्व महाप्रबंधक (वित्त) सुधीर कुमार दास, अभियंता सुधीर कुमार, मार्थ प्लेसमेंट एजेंसी के प्रतिनिधि नीरज कुमार सिंह, पूर्व उत्पाद आयुक्त अमित प्रकाश, प्रिज्म होलोग्राफी के निदेशक विधु गुप्ता और छत्तीसगढ़ के शराब कारोबारी सिद्धार्थ सिंघानिया शामिल हैं।

प्लेसमेंट एजेंसियों और नीति में गड़बड़ी की भूमिका
झारखंड में वर्ष 2022 में लागू नई शराब नीति के तहत प्लेसमेंट एजेंसियों की संलिप्तता भी ACB के रडार पर है। जांच में यह बात सामने आई है कि कई एजेंसियों को फर्जी बैंक गारंटी के आधार पर काम सौंपा गया था, जिससे सरकारी राजस्व को बड़ा नुकसान पहुंचा। वहीं, छत्तीसगढ़ की शराब आपूर्ति प्रणाली को झारखंड में बिना पर्याप्त निगरानी के अपनाया गया, जिससे घोटाले को बढ़ावा मिला। प्रिज्म होलोग्राफी कंपनी द्वारा होलोग्राम आपूर्ति में भी अनियमितताएं पाई गई हैं, जहां लगभग ₹68 करोड़ की आपूर्ति 35 पैसे प्रति होलोग्राम के दर से की गई।
जांच का दायरा बढ़ा, कई फरार आरोपी ACB के रडार पर
सूत्रों के अनुसार अब तक ACB ने सात से आठ और आरोपियों के खिलाफ कोर्ट से गिरफ्तारी वारंट जारी करवा लिया है। इनमें से कुछ आरोपी फरार हैं और ACB उनकी तलाश में सक्रिय है।
एकमात्र राहत नेक्सीजन ऑटोमोबाइल्स के संचालक विनय कुमार सिंह को मिली है, जिन्हें अग्रिम जमानत प्रदान की गई है। यह बताया जा रहा है कि वे निलंबित IAS अधिकारी विनय चौबे के करीबी माने जाते हैं।
प्लेसमेंट कंपनी बदली मगर दागी अब भी कर रहे जिला कार्डिनेट
छत्तीसगढ़ में शराब घोटाला उजागर होते ही तत्काल दागी कंपनियों को किनारे कर दूसरी कंपनी को काम दें दिया गया लेकिन सिद्धार्थ सिंघानिया सहित जांच के दायरे में आए लोगों के करीबी अब भी कंपनी बदल छत्तीसगढ़ के जिलों को कार्डिनेट कर रहे हैं।
कल ही रायपुर में बड़ी छापेमारी के बाद जो खुलासा हुआ है वह स्पष्ट करता है कि अन्य जिलों को कोआर्डिनेट कर रहे जिम्मेदारों का बैकग्राउंड और भूमिका टटोल ली जाए।
क्योंकि अब तक ये लोग काम पुराने ढर्रों पर ही कर रहे हैं और जिन्हें जांच परख की जवाबदेही मिली है वो जाने क्यों आंखें बंद किए बैठे हैं जबकि सर्वविदित है कि शराब घोटाला में थोक और खुदरा शराब कारोबार से लेकर होलोग्राम आपूर्ति और सुरक्षा एजेंसियों तक की भूमिका संदिग्ध रही है और इसकी जांच भी जारी है।

रायपुर की लालपुर दुकान से 300 पेटी नकली शराब पकड़ी, ठेका कंपनी और अधिकारियों की मिलीभगत..
राजधानी रायपुर में सरकारी शराब दुकानों में नकली और मिलावटी शराब बेचने का गोरखधंधा कल फिर सामने आया है। आबकारी विभाग की कार्रवाई में लालपुर स्थित सरकारी शराब दुकान से 300 पेटी मिलावटी और बिना होलोग्राम वाली शराब बरामद की गई।
मामले में फरार चल रहा सुपरवाइजर चेनदास बंजारे उर्फ़ शेखर बंजारे भी पुलिस के हत्थे चढ़ गया। पूछताछ में आरोपी ने कई सनसनीखेज़ खुलासे किए हैं, जिससे ठेका कंपनी और विभागीय अफसरों की मिलीभगत उजागर हो गई है।
फर्जी नाम से नौकरी, रोज़ाना लाखों का खेल
पूछताछ में शेखर ने बताया कि ठेका कंपनी BIS के एरिया मैनेजर और पदाधिकारी राजा सारथी, अभिषेक शर्मा और प्रदीप गुप्ता ने उसे फर्जी नाम से नौकरी पर रखा था। उसने खुलासा किया कि स्थानीय निलंबित ADEO राजेंद्र नाथ तिवारी भी इस गोरखधंधे में शामिल थे और रोज़ाना दुकान से 50 हजार रुपये की अवैध वसूली करते थे।

नकली होलोग्राम लगाकर बेची जा रही थी शराब
सिलतरा डिपो से आने वाले नॉन-स्कैन माल पर नकली होलोग्राम लगाकर ग्राहकों को बेचा जा रहा। इस पूरे खेल में ठेका कंपनी BIS, ट्रांसपोर्ट ठेका कंपनी और स्थानीय ADEO की सांठगांठ पाई गई ।

आबकारी विभाग के अफसरों के सामने दिए बयान में शेखर ने इस पूरे नेटवर्क का पर्दाफाश किया। शेखर के खिलाफ आबकारी विभाग में मिलावटी शराब बेचने और पुलिस में धोखाधड़ी की एफआईआर दर्ज की है। राज्य में यह अब तक का दूसरा बड़ा शराब घोटाला माना जा रहा है। मामले के सामने आने के बाद ठेका कंपनी BIS की भूमिका पूरी तरह से संदिग्ध हो गई है।
जांच के घेरे में अफसर और कंपनियां
मामले की गंभीरता को देखते हुए आबकारी विभाग ने ठेका कंपनी, ट्रांसपोर्ट एजेंसी और विभागीय अधिकारियों के खिलाफ जांच शुरू कर दी है। माना जा रहा है कि जल्द ही कई और नामों का खुलासा हो सकता है।