सीजी भास्कर, 03 अप्रैल। तेलंगाना में 400 एकड़ जंगल (Kancha Forest Deforestation) के कटने पर पूरे देश में नाराजगी फैल गई है। जंगल के सभी पशु-पक्षी भी अपने घरों से हटने पर इंसानों की तरह रोते और चीखते नजर आ रहे हैं, जिसका वीडियो तेजी से वायरल viral हो रहा है।
जानकारी के अनुसार, रात के अंधेरे में कई बुलडोजर जंगल को काटने में लगे हुए थे, और पेड़ों से मोरों की चिल्लाने की आवाजें सुनाई दे रही थीं। उन पक्षियों की कराह सुनकर ऐसा लग रहा था जैसे इंसान ही रो रहे हों।
सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से फैल रहा है, जिसमें पेड़ों की कटाई हो रही है और सभी पशु-पक्षियों की चीखें सुनाई दे रही हैं। इस वीडियो में यह भी देखा जा सकता है कि अंधेरी रात में बुलडोजर पेड़ों को काट रहे हैं, जबकि जानवर इधर-उधर भाग रहे हैं।
कांचा जंगल क्या है (Kancha Forest Deforestation)
हैदराबाद के केंद्र में लगभग 400 एकड़ में फैला यह जंगल 220 से अधिक प्रजातियों के जीव-जंतुओं और पशु-पक्षियों का घर है। इसे कांचा जंगल के नाम से जाना जाता है, और इसे हैदराबाद का फेफड़ा भी कहा जाता है। हाल ही में, इस जंगल की कटाई रात के समय चुपचाप की जा रही थी।
जानकारी के अनुसार, यह कटाई तब शुरू हुई जब विश्वविद्यालय में छुट्टियों का समय था, क्योंकि यह क्षेत्र विश्वविद्यालय के निकट है और इसके काटने पर छात्रों ने विरोध किया।
छात्रों का विरोध (Kancha Forest Deforestation)
स्थानीय निवासियों, पर्यावरण कार्यकर्ताओं और छात्रों ने कांचा जंगल में विकास कार्य रोकने के लिए इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित करने की मांग की है। जब हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्रों को जंगल की कटाई के बारे में पता चला, तो उन्होंने इसका विरोध शुरू कर दिया और छात्रों ने विरोध प्रदर्शन भी आयोजित किए।
कोर्ट द्वारा लगाई गई रोक (Kancha Forest Deforestation)
तेलंगाना हाईकोर्ट ने छात्रों और पर्यावरण एनजीओ, वात फाउंडेशन द्वारा दायर याचिकाओं के बाद गंभीर विरोध प्रदर्शनों के चलते डिफोरेस्टेशन पर रोक लगा दी।
यह आदेश कोर्ट ने गुरुवार को जारी किया। सुनवाई के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने न्यायिक रजिस्ट्रार को घटनास्थल की जांच कर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि अगली सुनवाई तक किसी भी प्रकार की कटाई नहीं की जाएगी।
जंगलों की कटाई का कारण क्या है (Kancha Forest Deforestation)
इस 400 एकड़ की भूमि पर विकास कार्य शुरू करने के लिए जंगलों को काटने की योजना थी। यह दावा किया जा रहा है कि विकास प्राधिकरण को जंगल काटने में कोई बाधा न आए, इसलिए ऐसा समय चुना गया जब सभी बच्चे छुट्टियों में अपने घर गए हुए थे।