सीजी भास्कर, 15 सितंबर। सरकारी स्कूल में बच्चों को परोसे जाने वाले मध्यान्ह भोजन की विश्वसनीयता (Mid Day Meal Scandal) पर बड़ा सवाल खड़ा करने वाली घटना ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया। मामला इतना चौंकाने वाला था कि अदालत तक को इसमें हस्तक्षेप करना पड़ा। बच्चों की मासूम जिंदगी के साथ हुए खिलवाड़ ने शिक्षा व्यवस्था और जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही की परतें खोल दीं।
दरअसल, यह कोई सामान्य चूक नहीं थी बल्कि एक ऐसा वाकया था जिसने पूरे गांव में सनसनी फैला दी। बच्चों की थालियों में परोसा गया खाना इंसानों ने नहीं बल्कि आवारा कुत्तों ने जूठा किया था। यही से यह पूरा (Mid Day Meal Scandal) शुरू हुआ। मामले का खुलासा होते ही ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया और बात न्यायालय तक पहुंच गई।
घटना बलौदाबाजार जिले के विकासखंड पलारी के ग्राम लच्छनपुर स्थित शासकीय प्राथमिक विद्यालय की है। यहां 28 जुलाई को मध्यान्ह भोजन वितरण के दौरान बच्चों को वही खाना परोसा गया जिसे कुत्तों ने जूठा कर दिया था। मामला कोर्ट में पहुंचा तो उच्च न्यायालय की डिवीजन बेंच ने इसे गंभीर लापरवाही मानते हुए कड़ी टिप्पणी की और प्रभावित बच्चों को मुआवजा देने का आदेश दिया। इस तरह (Mid Day Meal Scandal) ने प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था की साख पर गहरे सवाल खड़े कर दिए।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद शासन हरकत में आया और 84 छात्रों को 25-25 हजार रुपये की आर्थिक मदद दी गई। यह राशि सीधे बच्चों के बैंक खातों में जमा की गई है। साथ ही स्कूल के प्रधानपाठक और दो शिक्षकों को निलंबित कर दिया गया है। वहीं, मध्यान्ह भोजन संचालन का कार्य जिस महिला स्वसहायता समूह को सौंपा गया था, उससे जिम्मेदारी तुरंत छीन ली गई। यह कार्रवाई दर्शाती है कि (Mid Day Meal Scandal) केवल एक प्रशासनिक गलती नहीं बल्कि बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ था।
स्थानीय लोग और अभिभावक अब भी आक्रोशित हैं और मांग कर रहे हैं कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए स्थायी समाधान निकाला जाए। शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर भी दबाव बढ़ा है कि वे जिम्मेदारियों को केवल कागजों तक सीमित न रखें, बल्कि जमीनी स्तर पर कड़ाई से पालन कराएं। अदालत की सख्ती से यह साफ हो गया है कि (Mid Day Meal Scandal) जैसी घटनाओं को किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
