सीजी भास्कर 13 अप्रैल बिहार के मनियारी थाने की ALTF विंग की स्कॉर्पियो पर फर्जी नंबर प्लेट लगी थी. इसी पर सवार होकर पुलिस शराब और माफियाओं के खिलाफ छापेमारी करती थी. कलेक्ट्रेट स्थित पुराने एसएसपी कार्यलय के सामने असली स्कॉर्पियो के मालिक ने अपनी गाड़ी का नंबर आते देखा, जो दूसरी गाड़ी पर लगा था. इसके बाद उसने हंगामा कर दिया. जब मालिक ने स्कॉर्पियो के अंदर देखा, तो पुलिस की वर्दी में शख्स बैठा था.
फर्जी नंबर लगी स्कॉर्पियो के अंदर मनियारी थाना अध्यक्ष देवव्रतकुमार बैठे थे, जिन्हें लोगों ने घेर लिया. दोनों गाड़ी के चालकों में मारपीट के हालात पैदा हो गए. इसके बाद मनियारी थाना अध्यक्ष उस गाड़ी से उतर आए. इस बीच मौके पर लोगों की भारी भीड़ इकट्ठा हो गई. हंगामे की जानकारी मिलते ही पुलिस भी मौके पर पहुंच गई. इसके बाद पुलिस एक ही नंबर लगी दोनों गाड़ियों को अपने साथ थाने ले गई.नंबर प्लेट को लेकर हो गई बहसमामले की जांच की गई तो मोहम्मद सनाउल्लाह नाम के शख्स ने पुलिस को बताया कि वह अपनी स्कॉर्पियो से एक पर्सनल काम के लिए मुजफ्फरपुर आए थे. यहां पुराने एसपी कार्यालय के पास चालक और गाड़ी को छोड़कर वह काम करने चले गए. थोड़ी ही देर बाद उनके चालक ने फोन कर बताया कि सेम नंबर प्लेट लगी एक स्कॉर्पियो इधर से गुजर रही है, जिसके बाद वह मौके पर पहुंचे. फिर गाड़ी पर लगे नंबर प्लेट को लेकर दोनों में बहस शुरू हो गई.गाड़ी कभी भी मनियारी नहीं गईउनकी गाड़ी उनके भाई के नाम पर है, जो 7 साल पहले श्री शोरूम से खरीदी थी. इधर फर्जी नंबर लगी स्कॉर्पियो के बारे में बताया गया है कि वह बैरगनिया निवासी यासमीन के नाम पर है, जो समस्तीपुर के ट्रैवल एजेंसी संचालक विवेक राज ने मनियारी थाना अध्यक्ष को उपलब्ध कराई है.
पिछले एक साल से यह गाड़ी थाने में चल रही है. वहीं असली मालिक मोहम्मद रिजवान के भाई का कहना है कि उसकी गाड़ी कभी भी मनियारी नहीं गई. वहां के टोल पर टैक्स कट गया था.सिर्फ एक नंबर का था फर्कउन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश से भी कई चालान आ चुके हैं. मनियारी थाना अध्यक्ष देवव्रत कुमार ने बताया कि उनके थाने में एएलटीएफ में गाड़ी चलती है. उसी से कोर्ट का काम करने आए थे. गाड़ी ट्रांसपोर्ट से हायर की गई है. नंबर के बारे में मुझे पता नहीं है. पकड़ी गई दोनों स्कॉर्पियो पर BR06PD-4739 था. जबकि थानाध्यक्ष को मुहैया कराई गई स्कॉर्पियो का सही नंबर BR06 PE-4739 है. ट्रैवल एजेंसी संचालक विवेक राज ने बताया कि दोनों स्कॉर्पियो के नंबर में एक अंक का अंतर है.केस दर्ज कराने पर अड़े मालिकमानवीय भूल के कारण एक नंबर मिस्प्रिंट हुआ है वह पिछले कई साल से बिहार पुलिस और रेलवे को गाड़ी उपलब्ध करवाते आ रहे हैं. पहली बार इस तरह की घटना हुई है.
स्कॉर्पियो पर फर्जी नंबर प्लेट लगाने में पुलिस की जांच जारी है. पुलिस वाहन उपलब्ध कराने वाले ट्रैवल एजेंसी संचालक को मानवीय भूल मानकर असली मालिक के गाड़ी का फाइन जो करीब 2800 रुपए हैं. उसको भरने को तैयार हैं, लेकिन असली मालिक केस दर्ज कराने की जिद पर पड़े हुए हैं. नगर थानेदार सरत कुमार का कहना है कि पूरे मामले की जांच की जा रही है. आगे की कार्रवाई की जाएगी.