सीजी भास्कर, 9 अक्टूबर। सुरक्षा बलों के लगातार प्रयासों और जमीनी रणनीति के चलते (Naxal Surrender Chhattisgarh) बड़ा परिणाम सामने आया है। गुरुवार को कुल 16 सक्रिय माओवादी नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया, जिनमें 7 महिला नक्सली भी शामिल हैं। आत्मसमर्पित माओवादियों पर कुल 70 लाख रुपये का इनाम घोषित था। यह आत्मसमर्पण पुलिस अधीक्षक रोबिनसन गुड़िया (भा.पु.से.) के नेतृत्व में नक्सल उन्मूलन नीति के तहत हुआ।
आत्मसमर्पित माओवादियों में पीएलजीए मिलिट्री कंपनी नंबर-1 के डिप्टी कमांडर, सदस्य, उत्तर ब्यूरो टेक्निकल टीम (डीवीसीएम), माड़ डिवीजन स्टाप टीम एसीएम, पार्टी सदस्य, कुतुल एलजीएस सदस्य, जनताना सरकार सदस्य और मिलिशिया सदस्य शामिल हैं। आत्मसमर्पण के दौरान सभी माओवादी समाज की मुख्यधारा में लौटने की शपथ लेते दिखे। (Naxal Surrender Chhattisgarh) पुलिस के अनुसार, वर्ष 2025 में अब तक कुल 192 बड़े और छोटे कैडर के माओवादी आत्मसमर्पण कर चुके हैं।
पुलिस अधीक्षक रोबिनसन गुड़िया ने बताया कि आत्मसमर्पित माओवादियों को 50-50 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि का चेक प्रदान किया गया है। साथ ही, उन्हें राज्य सरकार की नक्सल उन्मूलन नीति के तहत सभी प्रकार की पुनर्वास सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। आत्मसमर्पण समारोह के दौरान आईटीबीपी, बीएसएफ, पुलिस अधिकारी, वरिष्ठ पत्रकार और स्थानीय लोग उपस्थित रहे।
इंट्रोगेशन के दौरान नक्सलियों ने चौंकाने वाले खुलासे किए। उन्होंने बताया कि शीर्ष कैडर के माओवादी लीडर्स ही असली दुश्मन हैं जो आदिवासियों के जल, जंगल और जमीन की रक्षा के नाम पर झूठे सपने दिखाते हैं और (Naxal Surrender Chhattisgarh) बस्तर के लोगों को गुलाम बनाते हैं। महिला नक्सलियों ने बताया कि संगठन में उनका शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से शोषण होता है और कई शीर्ष लीडर्स उनके साथ व्यक्तिगत दासी जैसा व्यवहार करते हैं।
आत्मसमर्पण के दौरान मौजूद आईजी सुंदरराज पी. ने कहा कि सुरक्षा बलों ने माओवादी शीर्ष नेतृत्व को भारी क्षति पहुंचाई है। अब माओवादियों के पास हिंसा छोड़कर समाज की मुख्यधारा से जुड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। वहीं, एसपी रोबिनसन गुड़िया ने कहा कि हमारा उद्देश्य अबूझमाड़ के मूल निवासियों को माओवादी विचारधारा से बाहर निकालना और विकास की मुख्यधारा में जोड़ना है। उन्होंने सभी सक्रिय माओवादियों से अपील की कि वे (Naxal Surrender Chhattisgarh) आत्मसमर्पण नीति का लाभ उठाकर सामान्य जीवन जिएं।
पुलिस के अनुसार, यह आत्मसमर्पण सुरक्षा बलों की बढ़ती उपस्थिति, नक्सलियों के प्रति घटते जनसमर्थन और लगातार चल रहे विकास अभियानों का परिणाम है। नक्सली संगठन अब अपनी जड़ें खोते जा रहे हैं और (Naxal Surrender Chhattisgarh) सरकार की नीतियों पर विश्वास जताते हुए धीरे-धीरे सामान्य जीवन की ओर लौट रहे हैं।