सीजी भास्कर, 18 अगस्त। गाजियाबाद के सुराणा गांव में रक्षाबंधन का त्यौहार नहीं मनाया जाता है। आपको बता दें कि कल 19 अगस्त को देश भर में रक्षाबंधन (Rakshabandhan2024) का पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा। शहर के सभी बड़े और पुराने बाजार सज चुके हैं, बाजारों में अलग-अलग प्रकार की राखियां बहनों का आकर्षण बनी हुई हैं। एक ओर बहनें अपने भाई के लिए उनकी पसंद की राखी खरीद रही हैं और भाई अपनी प्यारी बहन को देने के लिए गिफ्ट सोच रहे हैं। धीरे-धीरे अटूट प्रेम के बंधन का यह पावन पर्व नजदीक आ रहा है लेकिन गाजियाबाद से 35 किलोमीटर दूर मुराद नगर में एक गांव ऐसा भी है जहां रक्षाबंधन को लेकर कोई तैयारी नहीं हो रही है।
वजह यही है कि इस गांव में वर्षों से रक्षाबंधन का त्यौहार नहीं मनाया जाता है। यहां पर बहनों द्वारा भाइयों को राखी बांधना शुभ नहीं बल्कि अशुभ माना जाता है। जिन लोगों ने राखी का पावन त्यौहार मनाने की कोशिश भी कि उनके साथ अपशगुन हो गया। इस दिन न ही बहनें सजती-संवरती हैं और न ही भाइयों की कलाई राखियों से भरी नजर आती हैं। गांव में भी इस दिन विशेष चहल पहल नहीं होती। इस गांव में रक्षाबंधन का पर्व न मनाने का कारण सुराणा में स्थित प्राचीन घूमेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी अखिलेश शर्मा ने बताया कि गांव का नाम पहले सोहनगढ़ हुआ करता था। यहां पर पृथ्वीराज चौहान के वंशज ने हिंडन किनारे शरण ली थी। यह बात मोहम्मद गौरी को पता चल गई फिर उसने गांव पर हमला कर दिया। जंगली हाथियों को उकसा के गांववासियों को हाथी के नीचे कुचलवा दिया, जिसमें बड़ी संख्या में गांव के बच्चे, महिला और बुजुर्ग की निर्मम हत्या हो गई. जिस दिन यह सब हुआ उस दिन रक्षाबंधन का त्यौहार था। तब से लेकर आज तक छाबड़िया गोत्र का कोई भी व्यक्ति इस पर्व को नहीं मनाता है बल्कि अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित करता है।
गौरतलब हो कि वर्ष पुरानी परंपरा को लेकर आज भी उतना ही डर है, जितना पहले हुआ करता था। गांव के युवाओं ने बताया कि वह अपने पूर्वजों का सम्मान करते हैं, जो वर्षों पुरानी परंपरा चली आ रही है उसे तोड़ना नहीं चाहते। अब पीढ़ी दर पीढ़ी यह परंपरा इसी प्रकार से चलती रहनी चाहिए। रक्षाबंधन के दिन पूरा परिवार मिलकर पूर्वजों को श्रद्धांजलि देता है।