सीजी भास्कर, 08 अक्टूबर। इस समय धान की फसल बाल निकलने से लेकर दाना भरने की अवस्था में है, जो फसल विकास का अत्यंत संवेदनशील चरण माना जाता है। इस दौरान पौधों को पर्याप्त पोषण, उपयुक्त नमी और रोगों व कीटों से सुरक्षा की सबसे अधिक आवश्यकता होती है। पिछले कुछ दिनों से हल्की वर्षा, बादलों की मौजूदगी और रात के समय अत्यधिक आर्द्रता ने ऐसा वातावरण बना दिया है जो फफूंद और जीवाणुजनित रोगों (Rice Crop Disease Alert) के लिए अत्यधिक अनुकूल है।
रात के समय औसतन आर्द्रता 85 से 95 प्रतिशत तक पहुँच रही है, जबकि तापमान 25 से 30 डिग्री सेल्सियस के बीच बना हुआ है। यह परिस्थितियाँ फसल में ब्लास्ट, शीथ ब्लाइट और बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट (Rice Crop Disease Alert) जैसे रोगों के तेज प्रसार का कारण बन रही हैं। साथ ही खेतों में जलभराव और अधिक नमी के चलते भूरा माहों कीट और तना छेदक कीट का प्रकोप भी तेजी से बढ़ने की संभावना है।
रोग और कीटों का खतरा बढ़ा, फसल निगरानी ज़रूरी
इस समय खेतों में पौधों की बढ़वार घनी होने के कारण हवा का पर्याप्त प्रवाह नहीं हो पा रहा, जिससे नमी लंबे समय तक बनी रहती है। यही स्थिति रोग फैलाव के लिए अनुकूल होती है। फसल के दाना भरने की अवस्था में भूरा माहों (Brown Planthopper) जैसे कीट पत्तियों के नीचे छिपकर रस चूसते हैं और पौधे को कमजोर कर देते हैं। गंभीर स्थिति में हॉपर बर्न (Rice Crop Disease Alert) जैसी अवस्था बनती है जिसमें पौधे सूखकर झुक जाते हैं।
इसके अलावा, तना छेदक कीट (Stem Borer) की गतिविधियाँ भी सक्रिय हो रही हैं, जिससे पौधों में डेड हार्ट और व्हाइट ईयर हेड जैसी अवस्थाएँ दिखने लगती हैं। हाल के वर्षों में पैनिकल माइट (Rice Crop Disease Alert) का प्रभाव भी बढ़ा है, जो बालियों में दाने भरने को प्रभावित करता है और फसल की गुणवत्ता घटा देता है।
वैज्ञानिक सुझाव और नियंत्रण उपाय
कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को नाइट्रोजन उर्वरक का अत्यधिक प्रयोग न करने, खेत में उचित जल निकासी व्यवस्था बनाए रखने और सिंचाई प्रबंधन सुधारने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि हर तीन दिन में खेतों का निरीक्षण कर पौधों की निचली पत्तियों, तनों और बालियों को ध्यानपूर्वक जांचना चाहिए।
ब्लास्ट रोग : पाइरिकुलेरिया ओराइजे फफूंद से होता है। पत्तियों पर छोटे बैंगनी धब्बे बनते हैं जो बाद में बढ़ते हैं। इसके नियंत्रण के लिए ट्राईफ्लोक्सीस्ट्राबिन 25% + टेबुकोनाजोल 50% WP, 0.4 ग्राम/लीटर पानी में घोलकर 12–15 दिन के अंतराल पर छिड़काव करें।
शीथ ब्लाइट : राइजोक्टोनिया सोलानी फफूंद से होता है। नियंत्रण के लिए हेक्साकोनाजोल 1 मि.ली./लीटर पानी से छिड़कें।
बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट (BLB) : जैथोमोनस ओराइजी जीवाणु से फैलता है। इसके लिए स्ट्रेप्टोसाइक्लिन 1 ग्राम + कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 25 ग्राम / 10 लीटर पानी का छिड़काव करें।
शीथ रॉट : कार्बेन्डाजिम 50 WP या हेक्साकोनाजोल 1 मि.ली./लीटर पानी से फवारें।
कीट नियंत्रण : भूरा माहों के लिए बुप्रोफेजिन 25 SC 1 लीटर/हेक्टेयर या डाईनेट्राफ्युरोन 20 SG 200 ग्राम/हेक्टेयर छिड़कें।
कृषि विभाग ने किसानों से अपील की है कि वे फसल की स्थिति पर सतर्क रहें और किसी भी कीट या रोग की प्रारंभिक अवस्था में तुरंत नियंत्रण उपाय अपनाएँ ताकि उत्पादन पर प्रभाव न पड़े।