भोपाल | 16 जुलाई 2025
मध्य प्रदेश में बिजली विभाग द्वारा लगाए जा रहे स्मार्ट मीटर अब लोगों के लिए ‘स्मार्ट समस्या’ बनते जा रहे हैं। भोपाल, सीहोर, बुरहानपुर समेत कई जिलों से लगातार बढ़े हुए बिजली बिल की शिकायतें सामने आ रही हैं। लोगों का आरोप है कि पहले जहां ₹200 से ₹500 का बिल आता था, वहीं अब वही खपत पर ₹5000 से लेकर ₹15,000 तक का बिल थमाया जा रहा है।
स्मार्ट मीटर या आर्थिक संकट का मीटर?
राज्यभर में पुराने बिजली मीटरों को हटाकर नए स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं। सरकार का दावा है कि इससे बिजली की खपत का डिजिटल ट्रैकिंग बेहतर होगी, लेकिन ग्राउंड रिपोर्ट कुछ और ही कहानी बयां करती है।
भोपाल के नारियलखेड़ा, सीहोर और बुरहानपुर में बड़ी संख्या में उपभोक्ता शिकायत कर रहे हैं कि—
- बिना AC-कूलर वाले घरों में भी हजारों का बिल आ रहा है
- बिल जमा करने में 1 दिन की देरी पर बिजली काट दी जाती है
- बिजली दफ्तरों के बाहर लंबी लाइनें, बिल सुधार के लिए लोग परेशान
लोगों का दर्द – “मां की मौत हो गई, और विभाग ने लाइट काट दी”
एक पीड़ित ने बताया कि उसकी मां की मौत के चलते वह बिल एक दिन देर से जमा कर सका, लेकिन विभाग ने अगले ही दिन बिजली कनेक्शन काट दिया। कई लोगों का कहना है कि बिजली की खपत में कोई फर्क नहीं पड़ा, फिर भी बिल कई गुना बढ़ गया है।
कलेक्टर ऑफिस का घेराव और विरोध प्रदर्शन
सीहोर में नाराज़ लोगों ने कलेक्टर ऑफिस का घेराव किया, जबकि बुरहानपुर में कांग्रेस ने शहर बंद का ऐलान कर दिया। सड़कों पर जनता और विपक्ष दोनों स्मार्ट मीटरों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि ये मीटर ग़लत रीडिंग दिखा रहे हैं और यह आम जनता की जेब पर सीधा हमला है।
18 लाख मीटर लगाए, 50 लाख का लक्ष्य
बिजली विभाग अब तक पूरे मध्यप्रदेश में 18 लाख स्मार्ट मीटर लगा चुका है और 2027 तक 50 लाख मीटर लगाने का प्लान है। हालांकि, बिजली विभाग के वरिष्ठ PRO मनोज द्विवेदी का कहना है कि “कुछ क्षेत्रों से शिकायतें आई थीं, जिनका समाधान कर दिया गया है। अगर कहीं और दिक्कत है, तो जांच होगी।”
मंत्री ने भी मानी समस्या, कहा – जांच होनी चाहिए
मंत्री लखन पटेल ने खुद माना कि उन्हें भी बढ़े हुए बिजली बिल की शिकायतें मिली हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने जांच के आदेश दिए हैं और विभाग को समस्या गंभीरता से लेनी चाहिए।
अब सवाल उठता है…
क्या यह डिजिटल भारत की कीमत आम जनता को अपनी जेब से चुकानी पड़ रही है?
क्या स्मार्ट मीटर में तकनीकी गड़बड़ी है या उपभोक्ताओं को गुमराह किया जा रहा है?