रायपुर, 5 अगस्त 2025 — छत्तीसगढ़ के सपूत और वीर स्वतंत्रता सेनानी स्व. परसराम सोनी की 105वीं जयंती के मौके पर आज़ादी की लड़ाई से जुड़ी उनकी ऐतिहासिक आत्मकथा ‘छत्तीसगढ़ में सशस्त्र संघर्ष: रायपुर षड्यंत्र केस’ का विधिवत विमोचन किया गया। कार्यक्रम विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह के निवास सभागार में आयोजित हुआ।
डॉ. रमन सिंह ने कहा:
“आज़ादी की लड़ाई सिर्फ सफलताओं से नहीं, बल्कि जज्बे और जुनून से भरी थी। उस दौर में क्रांतिकारियों को मालूम था कि कुछ बम, गोलियों या पिस्तौल से अंग्रेज़ नहीं भागेंगे, लेकिन फिर भी युवाओं ने आत्मबलिदान से जनजागृति का मार्ग चुना। उन्हीं योद्धाओं में एक नाम था – परसराम सोनी।”
उन्होंने कहा कि रायपुर जैसे शहरों में भी भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद, रामप्रसाद बिस्मिल के विचारों से प्रेरित युवाओं की कोई कमी नहीं थी। सीमित संसाधनों के बावजूद सोनी जी और उनके साथियों ने सशस्त्र क्रांति को साकार करने का प्रयास किया।
“यह अलग बात है कि उनका प्रयास सफल नहीं हो सका, लेकिन उन्होंने ब्रिटिश हुकूमत की चूलें हिला दीं,” रमन सिंह ने कहा।
“बिस्मिल की बराबरी करती है ये आत्मकथा” – शशांक शर्मा
कार्यक्रम में हिंदी साहित्य अकादमी के अध्यक्ष शशांक शर्मा ने कहा:
“आत्मकथा तो कई सेनानियों ने लिखी, लेकिन रामप्रसाद बिस्मिल की तरह स्पष्ट, साहसिक और संवेदनशील आत्मकथा मैंने केवल परसराम सोनी जी की ही देखी है। ये किताब इतिहास की अमूल्य धरोहर है।”
शर्मा ने बताया कि चाहे वो चंद्रशेखर आज़ाद का संसाधनों का संघर्ष हो या सोनी जी की गुप्त योजना, हर जगह एक जैसी चुनौतियां थीं।
उन्होंने कहा:
“सोनी जी ने संगठन में अत्यंत गोपनीयता बरती, जो कि उस समय हुए विश्वासघातों से मिली सीख का परिणाम था। लेकिन दुर्भाग्य से उनके साथ भी एक मित्र की गद्दारी हुई और उनकी योजना पर पानी फिर गया। फिर भी उनकी क्रांतिकारी सोच और साहस को इतिहास नमन करता है।”
समारोह में शामिल हुए गणमान्यजन
इस ऐतिहासिक अवसर पर बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे। कार्यक्रम का आयोजन हरि ठाकुर स्मारक संस्थान द्वारा किया गया था। शामिल होने वाले प्रमुख नामों में थे:
- प्रो. लक्ष्मीशंकर निगम
- स्वतंत्रता संग्राम सेनानी उत्तराधिकारी पी.एन. तिवारी, प्रभात मिश्रा, एन.के.एस. ठाकुर
- इतिहासकार आचार्य रमेंद्रनाथ मिश्र
- प्रो. घनाराम साहू
- डॉ. धीरेंद्र साव
- संस्था सचिव आशीष सिंह
- तथा स्व. सोनी जी के परिजन एवं अन्य गणमान्य नागरिक