सीजी भास्कर, 9 अक्टूबर। राजधानी रायपुर स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में आयोजित राज्य स्तरीय परंपरागत वैद्य सम्मेलन में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय (Traditional Medicine India) ने कहा कि पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली न केवल हमारी सांस्कृतिक पहचान है बल्कि जनसेवा की सशक्त धरोहर भी है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार सभी पंजीकृत वैद्यों को प्रशिक्षण देकर उन्हें प्रमाणित पंजीयन पत्र प्रदान करेगी ताकि दस्तावेजों के अभाव में किसी को कठिनाई न हो।
सम्मेलन में मुख्यमंत्री का स्वागत प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए वैद्यों ने पारंपरिक जड़ी-बूटियों की माला पहनाकर किया। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर औषधीय पौधों की प्रदर्शनी (Traditional Medicine India) का भी अवलोकन किया और कहा कि यह परंपरा हमें प्रकृति से जोड़ती है।
मुख्यमंत्री ने पद्मश्री हेमचंद मांझी का उल्लेख करते हुए कहा कि दूरस्थ क्षेत्र में रहकर भी मांझी जी गंभीर बीमारियों का उपचार अपने पारंपरिक ज्ञान से करते हैं। उन्होंने कहा कि वैद्य परंपरा भारत की प्राचीन और समृद्ध चिकित्सा पद्धति है। देशभर में लगभग 60 से 70 हजार वैद्य हैं, जिनमें से लगभग 1500 वैद्य छत्तीसगढ़ (Traditional Medicine India) में सक्रिय हैं।
साय ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी हमारी पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली को मान्यता दी है। छत्तीसगढ़ पूरे देश में “हर्बल स्टेट” के रूप में अपनी पहचान बना चुका है। यहां डेढ़ हजार से अधिक औषधीय पौधे पाए जाते हैं। दुर्ग जिले के पाटन स्थित जामगांव में औषधीय पौधों से अर्क निकालने के लिए एक कारखाना भी स्थापित किया गया है।
जड़ी-बूटियों का अधिकतम उपयोग
मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्राकृतिक चिकित्सा और आयुष (Traditional Medicine India) प्रणाली को बढ़ावा दे रहे हैं। इसी उद्देश्य से पृथक आयुष मंत्रालय का गठन किया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार क्लस्टर-आधारित मॉडल विकसित कर रही है ताकि स्थानीयता के आधार पर जड़ी-बूटियों का अधिकतम उपयोग किया जा सके। सरकार का लक्ष्य स्थानीय वैद्यों को रोजगार से जोड़कर आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री रामविचार नेताम (Traditional Medicine India) ने कहा कि वैद्य समाज का महत्वपूर्ण स्तंभ हैं। उन्होंने पद्मश्री हेमचंद मांझी की तुलना सुषेन वैद्य से करते हुए कहा कि जिस तरह सुषेन ने लक्ष्मण का उपचार किया, उसी प्रकार मांझी दुर्लभ रोगों का उपचार कर रहे हैं।
1300 से अधिक वैद्यों का पंजीयन Traditional Medicine India
छत्तीसगढ़ आदिवासी स्थानीय स्वास्थ्य परंपरा एवं औषधि पादप बोर्ड के अध्यक्ष विकास मरकाम ने बताया कि सम्मेलन में 1300 से अधिक वैद्यों का पंजीयन हुआ है। उन्होंने कहा कि बोर्ड “नवरत्न योजना” के तहत हर्रा, बहेड़ा, आंवला, मुनगा जैसे नौ औषधीय पौधों के रोपण की पहल करेगा। पद्मश्री हेमचंद मांझी ने कहा कि सही जानकारी और औषधियों के संयोजन से वैद्य कई प्रकार के कैंसर का भी इलाज कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि वैद्यों के पास रोग को जड़ से मिटाने की क्षमता होती है। मुख्य वन संरक्षक और वन बल प्रमुख व्ही. श्रीनिवास राव ने कहा कि राज्य के अंदरूनी क्षेत्रों में जहां आधुनिक चिकित्सा सेवाएं नहीं पहुंच पातीं, वहां परंपरागत वैद्य अपने पूर्वजों के ज्ञान से जनसेवा करते हैं। मुख्यमंत्री की उपस्थिति में 25 वैद्यों को कच्ची औषधीय पिसाई मशीनें प्रदान की गईं। इस दौरान छत्तीसगढ़ राज्य जैव विविधता बोर्ड द्वारा प्रकाशित डॉ. देवयानी शर्मा की पुस्तक (Traditional Medicine India) का विमोचन भी किया गया।