सीजी भास्कर 13 नवम्बर उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में एक स्कूल के प्रार्थना सभा के दौरान (Vande Mataram Controversy) से जुड़ा विवाद खड़ा हो गया। शाहपुर कुतुब गांव के अपर प्राइमरी स्कूल में तैनात असिस्टेंट टीचर शमसुल हसन ने बुधवार को ‘वंदे मातरम’ गाने से इंकार कर दिया। उनका कहना था कि यह उनके मजहब के खिलाफ है। इस विरोध के बाद पूरे स्कूल में तनाव का माहौल बन गया और मामला सीधे जिला शिक्षा विभाग तक पहुंच गया।
जांच में आरोप सही पाए गए, निलंबन की कार्रवाई हुई
मामले की जानकारी मिलते ही जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) ने जांच के आदेश दिए। जांच में पुष्टि हुई कि शिक्षक ने (National Song Protest) के दौरान न केवल राष्ट्रगीत का विरोध किया, बल्कि सहकर्मियों के साथ अभद्र भाषा का इस्तेमाल भी किया। इसके बाद विभाग ने तत्काल प्रभाव से शमसुल हसन को निलंबित कर दिया।
बीएसए डॉ. राकेश कुमार सिंह ने कहा — “विद्यालय में अनुशासन और राष्ट्रीय प्रतीकों का सम्मान सर्वोच्च है। किसी भी परिस्थिति में इसका अपमान स्वीकार्य नहीं है।”
सरकार ने ‘वंदे मातरम’ को किया अनिवार्य
उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में ‘वंदे मातरम’ के 150वें वर्ष (7 नवंबर 2025) के अवसर पर सभी सरकारी स्कूलों में राष्ट्रगीत को अनिवार्य करने का आदेश जारी किया था। इसी निर्देश के तहत 12 नवंबर को स्कूलों में विशेष प्रार्थना सभा आयोजित की गई थी।
प्रधानाध्यापिका सुषमा रानी के अनुसार — “यह पहला मौका था जब स्कूल में ‘वंदे मातरम’ गाया जा रहा था। उस दौरान हसन ने अचानक विरोध किया और धार्मिक तर्क देने लगे, जिससे माहौल बिगड़ गया।”
शिक्षकों ने की लिखित शिकायत, बीईओ ने किया निरीक्षण
प्रधानाध्यापिका सुषमा रानी, चंद्रपाल सिंह, प्रेमलता, सबीहा साबिर और अन्य शिक्षकों ने आरोपी के खिलाफ लिखित शिकायत दी। इसमें कहा गया कि हसन ने खुलेआम कहा — “मैं मुसलमानों को इकट्ठा कर मीटिंग करूंगा, यह नारा स्कूल में नहीं चलेगा।”
शिकायत के बाद खंड शिक्षा अधिकारी (BEO) ने स्कूल का निरीक्षण किया। जांच दल ने पाया कि शिक्षक ने शासन के आदेशों का उल्लंघन किया और (Disciplinary Action) का मामला बनता है।
बीएसए ने किया निलंबन, नई तैनाती के आदेश जारी
जांच रिपोर्ट के आधार पर शमसुल हसन को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। अब उन्हें गंगीरी विकासखंड के उच्च प्राथमिक विद्यालय राजगहीला से संबद्ध किया गया है, जहां वे निलंबन अवधि में रिपोर्ट करेंगे।
बीएसए ने स्पष्ट कहा — “धर्म के नाम पर राष्ट्रीय प्रतीकों का विरोध स्वीकार्य नहीं है। सभी शिक्षकों का दायित्व है कि वे बच्चों में राष्ट्रभक्ति की भावना विकसित करें।”
‘मैंने केवल अनुरोध किया था…’ हसन का दावा
शमसुल हसन ने अपने पक्ष में कहा — “मैंने सिर्फ अनुरोध किया था कि ‘वंदे मातरम’ न गवाया जाए, क्योंकि यह पहली बार हो रहा था।” उन्होंने सहकर्मियों पर दुर्व्यवहार का आरोप लगाया, लेकिन जांच में उनके दावे निराधार पाए गए।
सभी शिक्षकों ने अपने बयानों में पुष्टि की कि उन्होंने खुलेआम विरोध और धमकी भरे शब्द बोले थे। अब स्कूल में प्रार्थना सभा सामान्य रूप से आयोजित की जा रही है।
धार्मिक बहस और शिक्षा अनुशासन के बीच टकराव
यह मामला केवल एक स्कूल विवाद नहीं, बल्कि (Religious Sentiment vs Discipline) जैसे संवेदनशील विषय को छूता है। उत्तर प्रदेश में इस समय राष्ट्रगीत की अनिवार्यता को लेकर कई जगहों पर चर्चा चल रही है। शिक्षा विभाग ने कहा है कि अनुशासन और राष्ट्रभक्ति सर्वोपरि हैं, और किसी भी धार्मिक मतभेद के कारण स्कूल व्यवस्था बाधित नहीं होनी चाहिए।
