दिल्ली , 24 मार्च 2025 :
मानसिक दबाव के चलते आत्महत्या जैसा कदम उठा लेने से छात्रों को बचाने के लिए सुप्रीम ने एक नेशनल टास्क फोर्स का गठन किया है. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस एस रविंद्र भाट की अध्यक्षता वाली यह टास्क फोर्स उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ रहे छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर सुझाव देगी. मामला 2023 में आत्महत्या करने वाले आईआईटी, दिल्ली के 2 छात्रों से जुड़ा है. सुप्रीम कोर्ट ने उस मामले की अलग से जांच का भी आदेश दिया है.
जुलाई, 2023 में आईआईटी दिल्ली के बीटेक छात्र आयुष आशना ने आत्महत्या की थी. उसी साल 1 सितंबर को बीटेक के ही छात्र अनिल कुमार ने भी आत्महत्या कर ली थी. दोनों छात्र अनुसूचित जाति (SC) के थे. पुलिस ने सीआरपीसी की धारा 174 के तहत अप्राकृतिक मृत्यु के एंगल से इन मामलों को देखा और पढ़ाई के दबाव में की गई आत्महत्या मान कर मामला बंद कर दिया. दोनों के परिवार ने इसे जातीय भेदभाव और हत्या का मामला बताया था.
अब सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जे बी पारडीवाला और आर महादेवन की बेंच ने दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के डीसीपी को आदेश दिया है कि इन दोनों मामलों में एफआईआर दर्ज की जाए. इनकी जांच का ज़िम्मा एसीपी रैंक के अधिकारी को दिया जाए.
मामले की सुनवाई के दौरान जजों ने देश भर के उच्च शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ रहे छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर चिंता जताई थी. जजों ने सुनवाई का दायरा बढ़ाते हुए छात्रों के लिए कुछ करने की मंशा जताई थी. अब कोर्ट ने पूर्व जज की अध्यक्षता में एक टास्क फोर्स का गठन कर दिया है. कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों से कहा है कि वह टास्क फोर्स की सहायता के लिए अपने यहां के शिक्षा विभाग के जॉइंट सेक्रेट्री रैंक के अधिकारी की नियुक्ति करें.
कोर्ट ने टास्क फोर्स से 4 महीने में अंतरिम रिपोर्ट देने को कहा है. टास्क फोर्स उन स्थितियों के बारे में विस्तार से अध्ययन करेगा जिनके चलते छात्र आत्महत्या जैसा कदम उठा लेते हैं. कोर्ट ने अपने फैसले में 2023 में केंद्रीय शिक्षा मंत्री की तरफ से राज्यसभा में दिए गए एक जवाब का भी ज़िक्र किया है. इस जवाब में बताया गया था कि 2018 से 2023 तक उच्च शैक्षणिक संस्थानों के 98 छात्रों ने आत्महत्या की. इनमें अलग-अलग आईआईटी के 39, एनआईटी के 25, केंद्रीय विश्वविद्यालयों के 25 और बाकी समेत दूसरे संस्थानों के थे.