सीजी भास्कर, 22 जून। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक रेप आरोपी को दोषमुक्त कर दिया, जिस पर एक युवती ने शादी का झांसा देकर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने का आरोप लगाया था। कोर्ट की ओर से इस मामले में फैसला सुनाते हुए आरोपी को दोषमुक्त कर दिया गया।
कोर्ट ने कहा कि अगर युवती लंबे समय तक आरोपी के साथ अपनी मर्जी से रही और उसे अपना पति मानती थी तो ये कह पाना मुश्किल होगा कि महिला के साथ उसकी मर्जी के बिना या धोखे में रखकर यौन संबंध बनाए गए हो।
दरअसल, ये मामला रायगढ़ के चक्रधरपुर से सामने आया है। जहां एक महिला ने चक्रधर थाने में रिपोर्ट कराते हुए बताया था कि आरोपी ने उसे शादी का झांसा दिया और उसके साथ संबंध बनाए।
महिला शादीशुदा थी लेकिन उसका पति शराबी था, ऐसे में महिला का आरोप ही कि आरोपी ने उससे अपने पति को छोड़ने के लिए कहा और वादा किया कि वह उससे शादी करेगा।
महिला बिलासपुर में रहती थी और एक एनजीओ में काम करती थी। इसी एनजीओ में उसकी आरोपी से मुलाकात हुई थी। वह आरोपी से साल 2008 में मिली थी। उसने महिला को किराए पर एक मकान भी दिलाया और दोनों पति-पत्नी की तरह रहने लगे।
महिला का आरोप है कि इस दौरान आरोपी ने उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। दोनों के तीन बच्चे भी हो गए।
11 साल तक पति-पत्नी की तरह रहे
11 साल तक पति-पत्नी की तरह रहने के बाद साल 2019 में आरोपी महिला से ये कहकर गया कि वह रायपुर जा रहा है और एक हफ्ते में लौट आएगा। लेकिन इतने दिन बीत जाने के बाद भी वह नहीं आया।
महिला ने उस पर आने के लिए खूब दबाव बनाया लेकिन वह फिर भी नहीं आया। इसके बाद महिला ने आरोपी के खिलाफ रेप का केस दर्ज कराया। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया और मामला कोर्ट पहुंचा। रायगढ़ फास्ट ट्रैक कोर्ट ने युवक के खिलाफ आरोप भी तय कर दिया।
युवक ने हाईकोर्ट में चुनौती दी
फास्ट ट्रैक कोर्ट के आदेश को युवक ने हाईकोर्ट में चुनौती दी. युवक के वकील ने कोर्ट दलील पेश करते हुए कहा कि महिला अपनी मर्जी से युवक के साथ पति-पत्नी की तरह रही और दोनों के बीच रजामंदी से संबंध बने थे। इसलिए इसे रेप नहीं माना जा सकता।
यही नहीं महिला ने अपने सभी दस्तावेजों में भी युवक को अपना पति बताया हुआ है। वोटर आईडी कार्ड से लेकर राशन कार्ड तक पर महिला के पति के नाम की जगह युवक का नाम ही है।
अपनी मर्जी से एक-दूसरे के साथ रहे
यहां तक की महिला ने जब महिला एवं बाल विकास विभाग के सखी वन स्टॉप सेंटर में शिकायत दर्ज कराई।
तब भी उसने युवक को अपना पति बताया। इसी आधार पर अब हाईकोर्ट ने रायगढ़ हाईकोर्ट के फैसले को रद्द करते हुए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया और फैसला सुनाया कि महिला और पुरुष अगर अपनी मर्जी से एक-दूसरे के साथ रहे और एक-दूसरे को पति-पत्नी माना हुआ था तो ये कह पाना मुश्किल है कि महिला को धोखे में रखकर उसके साथ संबंध बनाए गए हैं।