बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में सरायपाली स्थित मेट्रिकेयर हॉस्पिटल एंड फर्टिलिटी सेंटर को तत्काल दोबारा खोलने का निर्देश दिया है। अदालत ने अस्पताल सील करने की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए इसे अवैध और अधिकारों का उल्लंघन माना है। न्यायमूर्ति अरविंद कुमार वर्मा की एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि बिना कारण बताओ नोटिस और वैध आदेश के किसी भी अस्पताल को सील नहीं किया जा सकता।
क्या है पूरा मामला?
हॉस्पिटल प्रबंधन के मुताबिक, 28 जून 2025 को कुछ अधिकारी अचानक अस्पताल पहुंचे और बिना किसी पूर्व सूचना के उसे सील कर दिया। अस्पताल का कहना है कि ना कोई लिखित आदेश, ना ही कोई नोटिस दिया गया और सीधे ताला जड़ दिया गया। इस पर अस्पताल ने 11 जुलाई को एसडीएम को पत्र लिखा और अपने अधिकारों के उल्लंघन की बात कही।
हाईकोर्ट में क्या हुआ?
अस्पताल की तरफ से पेश अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी ने कोर्ट में दलील दी कि ये सीलिंग कार्रवाई छत्तीसगढ़ राज्य उपचारीगृह तथा रोगोपचार संबंधित स्थापनाएं अनुज्ञापन अधिनियम, 2010 की धारा 9 के खिलाफ है। अधिनियम के अनुसार, किसी भी अस्पताल का लाइसेंस रद्द या निलंबित करने से पहले 30 दिन का नोटिस देना जरूरी है, जिसमें कार्रवाई का कारण और पक्ष रखने का अवसर शामिल हो।
शिकायत क्या थी?
यह कार्रवाई एक निजी व्यक्ति की शिकायत पर की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि अस्पताल में गैर-प्रशिक्षित डॉक्टर द्वारा उसकी पत्नी का ऑपरेशन किया गया, जिससे स्वास्थ्य में परेशानी आई। इसके आधार पर एक चार सदस्यीय जांच समिति बनाई गई, लेकिन रिपोर्ट या प्रक्रिया के बगैर सीधे अस्पताल को सील कर दिया गया।
कोर्ट का फैसला
हाईकोर्ट ने मामले का रिकॉर्ड देखने के बाद कहा कि कोई वैध आदेश या नोटिस मौजूद नहीं था। कोर्ट ने इसे मनमानी और गैरकानूनी कार्रवाई मानते हुए अस्पताल को तुरंत दोबारा खोलने का आदेश दिया। साथ ही राज्य सरकार को दो हफ्ते में जवाब दाखिल करने का निर्देश भी दिया गया है। अगली सुनवाई नोटिस तामीली के बाद की जाएगी।