सीजी भास्कर, 27 सितंबर। छत्तीसगढ़ में ग्रामीण विकास और टिकाऊ कृषि को नई दिशा देने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद–राष्ट्रीय जैविक स्ट्रेस प्रबंधन संस्थान (ICAR–National Institute of Biotic Stress Management), रायपुर और विकास संस्था ‘प्रोफेशनल असिस्टेंस फॉर डेवलपमेंट एक्शन’ (PRADAN) के बीच सोमवार को एक अहम समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए। यह सहयोग राज्य के पाँच ज़िलों के सात विकासखंडों में लागू होगा, जिसके अंतर्गत 25 जैव-संसाधन केंद्र और लगभग 75 गाँवों का विकास किया जाएगा। (ICAR Collaboration for Sustainable Farming)
समझौते के मुख्य उद्देश्य हैं—जैव-संसाधन केंद्रों की वैज्ञानिक स्थापना व सत्यापन, जैव-इनपुट्स के परीक्षण और प्रयोग, पौध संरक्षण तकनीकों का प्रचार-प्रसार, स्ट्रेस प्रबंधन पद्धतियों को अपनाने को बढ़ावा देना, स्वयं सहायता समूहों और किसान उत्पादक संगठनों को सशक्त बनाना। इसके साथ ही इस पहल में फील्ड अनुभवों का दस्तावेज़ीकरण, मूल्य श्रृंखला ढाँचे का विकास तथा विकसित भारत 2047 के विज़न के तहत छात्रों को व्यावहारिक अनुभव उपलब्ध कराना भी शामिल है। (Sustainable Agriculture Chhattisgarh)
हस्ताक्षर समारोह में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद–राष्ट्रीय जैविक स्ट्रेस प्रबंधन संस्थान के निदेशक डॉ. पी. के. राय, संस्थान के संयुक्त निदेशकगण तथा प्रोफेशनल असिस्टेंस फॉर डेवलपमेंट एक्शन के राज्य प्रमुख श्री मनोज कुमार और इंटीग्रेटर श्री कुनथाल मुखर्जी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन संयुक्त निदेशक (नीति) डॉ. अमरेंद्र रेड्डी ने किया। इस अवसर पर डॉ. राय ने कहा कि यह सहयोग “विज्ञान और व्यवहार” के बीच की खाई को पाटेगा और अनुसंधान को किसानों की ज़रूरतों से सीधे जोड़ते हुए उनके जीवन में ठोस प्रभाव डालेगा। (ICAR PRADAN MoU)