सीजी भास्कर, 11 अक्टूबर। करीब एक साल चली गहन जांच के बाद राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) और एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) सोमवार को कोर्ट में भारतमाला परियोजना के मुआवजा घोटाले (Bharatmala Scam Investigation) से संबंधित विस्तृत चालान पेश करने जा रही हैं। यह चालान करीब 10,000 पन्नों (Bharatmala Scam Investigation) का होगा, जिसमें घोटाले से जुड़े तमाम साक्ष्य, गवाहों के बयान और दस्तावेज शामिल किए गए हैं।
इस घोटाले में 12 से अधिक व्यक्तियों को आरोपित बनाया गया है, जिनमें दो एसडीएम, एनएचएआई (Bharatmala Scam Investigation) के चार अधिकारी और राजस्व विभाग के कई कर्मचारी शामिल हैं। जांच के दौरान चार लोगों जिनमें एक प्रमुख जमीन कारोबारी भी है को गिरफ्तार किया गया था। हालांकि, बाद में उन्हें हाईकोर्ट से जमानत मिल गई।
ईओडब्ल्यू की जांच में खुलासा हुआ कि कुछ अधिकारियों ने प्रोजेक्ट रिपोर्ट (Bharatmala Scam Investigation) लीक कर भूमाफियाओं को फायदा पहुंचाया। रिपोर्ट लीक होने के बाद जमीनों को छोटे-छोटे टुकड़ों में विभाजित कर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर मुआवजा राशि कई गुना बढ़ा ली गई। जांच में यह भी पाया गया कि अपात्र लोगों को मुआवजा बांटा गया और कई वास्तविक किसानों को उनका हक नहीं मिला।
एनएचएआई के तीन वरिष्ठ अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल उठे हैं। एजेंसियों ने इन अधिकारियों के खिलाफ आरोप तय (Bharatmala Scam Investigation) कर दिए हैं, लेकिन विभागीय अनुमति के अभाव में उनके विरुद्ध कार्रवाई अटकी हुई है। एनएचएआई की इस आपत्ति के बाद केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय ने राज्य सरकार से पूरे प्रकरण की विस्तृत रिपोर्ट तलब की है।
जानकारी के अनुसार, चालान में न केवल मुआवजा हेरफेर के दस्तावेज शामिल हैं, बल्कि उन बैंक खातों का भी ब्योरा है जिनके माध्यम से रकम का लेन-देन (Bharatmala Scam Investigation) हुआ। एजेंसियां अब इस बात की भी जांच कर रही हैं कि क्या मुआवजा वितरण में राजस्व अधिकारियों और दलालों के बीच कोई कमीशन प्रणाली चल रही थी।
एसीबी का कहना है कि भारतमाला परियोजना के नाम पर हुए इस बड़े घोटाले में कई और परतें खुलनी बाकी हैं। अदालत में चालान पेश होने के बाद कई अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच भी तेज हो सकती है।