सीजी भास्कर, 11 अगस्त। मुंबई से अहमदाबाद के बीच बन रहे बुलेट ट्रेन कॉरिडोर का काम जोर-शोर से चल रहा है। नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन इस 508 किलोमीटर लंबे कॉरिडोर का निर्माण कर रहा है। इस कॉरिडोर का 21 किलोमीटर का हिस्सा भूमिगत होगा।
खास बात यह है कि भूमिगत हिस्से में ही समुद्र के नीचे सुरंग बनाई जा रही है। अरब सागर के नीचे सात किलोमीटर लंबी यह सुरंग भारत की पहली अंडर सी रेलवे सुरंग होगी। इस सुरंग की गहराई जमीन 25 से 65 मीटर तक प्रस्तावित है। सुरंग के निर्माण के लिए तीन ‘दैत्याकार’ मशीनों का इस्तेमाल होगा, इन मशीनों को काम पर लगाने के लिए घंसोली, शिल्फाटा और विक्रोली में खुदाई चल रही है। इस साल के अंत तक पहली टनल बोरिंग मशीन (TBM) के काम शुरू कर देने की उम्मीद है। 21 किलोमीटर लंबे इस भूमिगत मार्ग के निर्माण में कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। खासकर, समुद्र के नीचे वाले 7 किलोमीटर के हिस्से में, यहां समुद्र तो तगड़ी चुनौती देगा साथ ही कई तरह की तकनीकी दिक्कतों से भी दो-चार होना होगा। समुद्र के नीचे बन रही यह सुरंग एक सिंगल ट्यूब सुरंग होगी। इसमें बुलेट ट्रेन के आने और जाने के लिए दो ट्रैक बिछाए जाएंगे। खास बात यह है कि समुद्र के नीचे से भी बुलेट ट्रेन अपनी फुल स्पीड, यानी 320 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से ही चलेगी।
आपको बता दें कि 21 किलोमीटर लंबा यह भूमिगत मार्ग महाराष्ट्र बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स से सिल्वाटा तक बनाया जा रहा है। ठाणे क्रीक (इंटरटाइडल ज़ोन) में समुद्र के नीचे 7 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाई जाएगी। अहमदाबाद और मुंबई के बीच भारत की पहली बुलेट ट्रेन परियोजना में ठाणे क्रीक के नीचे 7 किलोमीटर लंबी समुद्र के नीचे सुरंग का निर्माण शामिल था। यह सुरंग 21 किलोमीटर लंबे भूमिगत खंड का हिस्सा है। 13.6 मीटर के कटर हेड वाली बड़ी सुरंग बोरिंग मशीनों का इस्तेमाल किया गया। इस परियोजना को 2028 के अंत तक पूरा करने का लक्ष्य है।