सीजी भास्कर, 19 अक्टूबर। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल की प्रवर्तन निदेशालय (Money Laundering Case) की कार्रवाई और गिरफ्तारी को असंवैधानिक ठहराने की याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी।
शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दायर यह याचिका सिंगल बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद खारिज की। न्यायालय ने कहा कि जांच और गिरफ्तारी पर हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है और ED की कार्रवाई पूरी तरह कानूनी है।
ED के मुताबिक 16.70 करोड़ रुपए का लेन-देन
शराब घोटाले में ईडी ने चैतन्य बघेल को आरोपी बनाया है। आरोप है कि घोटाले की रकम से उन्हें 16.70 करोड़ रुपए मिले, जिन्हें रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में निवेश किया गया। ईडी की जांच (Money Laundering Case) में पाया गया कि चैतन्य के विट्ठल ग्रीन प्रोजेक्ट में वास्तविक खर्च 13 से 15 करोड़ रुपए था, जबकि रिकॉर्ड में केवल 7.14 करोड़ दिखाया गया।
डिजिटल डिवाइस की छापेमारी में पता चला कि कंपनी ने 4.2 करोड़ रुपए कैश पेमेंट किए, जो रिकॉर्ड में शामिल नहीं थे। यह राशि कथित रूप से अवैध रूप से प्राप्त रकम से निवेश की गई थी।
Money Laundering Case चैतन्य तक पैसे पहुंचाने का तरीका
ईडी के वकील ने अदालत में बताया कि शराब घोटाले के पैसों को विभिन्न व्यक्तियों और चैनलों के माध्यम से चैतन्य तक पहुंचाया गया। इसमें पप्पू बंसल के बयान और मोबाइल रिकॉर्डिंग के आधार पर यह खुलासा हुआ कि पैसे को लेयरिंग करके उनके पास भेजा गया।
वहीं, बचाव पक्ष का कहना था कि चैतन्य बघेल ने जांच में सहयोग किया और कभी भी उनका बयान नहीं लिया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि गिरफ्तारी केवल इस वजह से की गई क्योंकि वे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे हैं। अदालत ने इन दलीलों को अस्वीकार करते हुए कहा कि प्रवर्तन निदेशालय की जांच (Money Laundering Case) साक्ष्यों और वित्तीय दस्तावेजों के आधार पर उचित है।
छत्तीसगढ़ शराब घोटाले का बड़ा नेटवर्क
ईडी ने ACB में 3200 करोड़ रुपए से अधिक के घोटाले की FIR दर्ज की है। इसमें राजनेता, अधिकारी और कारोबारी शामिल हैं। घोटाले को तीन श्रेणियों — A, B और C में बांटा गया है।
A श्रेणी में डिस्टलरी संचालकों से कमीशन, B में नकली होलोग्राम वाली शराब की बिक्री और C में अन्य वित्तीय हेराफेरी शामिल थी। सिंडिकेट के माध्यम से शराब की असली खपत को छिपाकर अधिक कीमतों पर बेचा गया और डिस्टलरी मालिकों को तय कमीशन दिया गया।
ईडी की जांच में यह भी सामने आया कि सरकारी दुकानों से अवैध रूप से शराब की बिक्री की गई और लगभग 40 लाख पेटियों की हेराफेरी की गई। यह मामला छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले की व्यापक जांच और राजनीतिक संवेदनशीलता को दर्शाता है।