महाराष्ट्र , 12 मार्च 2025 :
32 साल के प्रदीप आईने के सामने खड़े होकर कंघी कर रहे थे। प्रदीप ने नोटिस किया कि उनके बाल बहुत ज्यादा झड़ रहे हैं। पहले तो उन्होंने इस पर ध्यान नहीं दिया, लेकिन 4-5 दिन में ही वे लगभग गंजे हो गए। ऐसा सिर्फ प्रदीप के साथ नहीं हुआ।
महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले में बीते दिसंबर और जनवरी में 279 लोगों के बाल अचानक झड़ने लगे। हेयरफॉल इतना ज्यादा था कि खींचने पर पूरे बाल हाथ में आने लगे। ये किसी एक गांव में नहीं, जिले की शेगांव, नांदूरा और खामगांव तालुका के 18 गांव में हो रहा था।
इसकी वजह जानने दिल्ली से टीमें आईं। हेल्थ डिपार्टमेंट के अफसर गांवों में पहुंचे। पद्मश्री डॉ. हिम्मतराव बावस्कर ने अपने लेवल पर रिसर्च की। उनकी रिपोर्ट में अंदेशा जताया गया कि सरकारी राशन दुकान से मिले गेहूं को खाने की वजह से ये दिक्कत हुई है। ये गेहूं पंजाब या हरियाणा का हो सकता है। हालांकि, कलेक्टर के मुताबिक गेहूं कहां से आया, उन्हें नहीं पता।
डॉ. हिम्मतराव बावस्कर ने अपनी रिपोर्ट में 14 फरवरी 2025 तक का डेटा जुटाया है। उनके मुताबिक कुल 279 लोगों के बाल झड़ गए। इनमें बच्चियां और महिलाएं भी शामिल हैं।
डॉ. हिम्मतराव बावस्कर ने अपनी रिपोर्ट में 14 फरवरी 2025 तक का डेटा जुटाया है। उनके मुताबिक कुल 279 लोगों के बाल झड़ गए। इनमें बच्चियां और महिलाएं भी शामिल हैं।
दैनिक भास्कर बुलढाणा के बोंडगांव पहुंचा। प्रभावित लोगों के अलावा अफसरों और डॉ. हिम्मतराव बावस्कर से भी बात की। पता चला कि रिपोर्ट आने के बाद गांव के लोगों ने सरकारी गेहूं खाना बंद कर दिया है। गांव के PDS सेंटर भी बंद मिले। अच्छी बात ये है कि इलाज के बाद लोगों के सिर पर बाल आने लगे हैं।
डॉक्टरों की टीम ने प्रभावित लोगों का आयुर्वेदिक और एलोपैथिक तरीके से इलाज किया। इसके बाद उनके सिर पर दोबारा बाल आने लगे हैं।
डॉक्टरों की टीम ने प्रभावित लोगों का आयुर्वेदिक और एलोपैथिक तरीके से इलाज किया। इसके बाद उनके सिर पर दोबारा बाल आने लगे हैं।
सिर्फ 3 दिन में बाल झड़ गए, एक हफ्ते बाद उगने भी लगे
बोंडगांव में रहने वाले प्रदीप कलस्कर खेती करते हैं। गारमेंट का भी काम है। प्रदीप बताते हैं, ‘दिसंबर के आखिर में मैंने देखा कि बहुत ज्यादा बाल झड़ रहे हैं। 2-3 दिन में बाल कम हो गए, तो मैं घबरा गया। एक दिन सरपंच रामेश्वर गजानन मिले, तो उन्हें बताया। उनसे पता चला कि कई लोगों को ये दिक्कत हो रही है। बात फैली तो गांव के आसपास तक लोग डर गए।’
बोंडगाव की आबादी करीब 500 है। सिर्फ यहीं 29 लोगों में गंजेपन की शिकायत आ चुकी थी। एक हफ्ते में ही लोगों के 50-80% बाल गिर गए।
प्रदीप बताते हैं, ‘4-5 दिन में ही मेरे 80% बाल गिर गए। मेरे अच्छे घने बाल थे। बाल ऐसी चीज हैं कि उन पर सबकी नजर पड़ती है। गंजेपन से शरीर में दर्द तो नहीं हुआ, लेकिन दिमागी तौर पर मैं हिल गया। कोई भी मुझे देखता, तो बालों के बारे में पूछता। लोगों ने मुंह फेरना शुरू कर दिया। मिलने, बात करने से भी कतराने लगे। ये सब देखकर मैं परेशान रहने लगा। घर से निकलना बंद कर दिया। मैं काम पर भी नहीं जाता था
बेटी के बाल झड़ने लगे तो मम्मी-पापा डर गए
बोंडगांव में हमें 8 साल की प्रियल मिली। कंधे पर बस्ता टांगकर स्कूल जा रही थी। दिसंबर के आखिर में प्रियल के भी बाल झड़ गए थे। प्रियल कैमरे पर ठीक से बात नहीं कर पाती, लेकिन जो भी बोलती है, उससे बाल खोने का गम छलक उठता है।
प्रियल हिंदी नहीं बोल पाती। हमने उससे मराठी में पूछा- केस कशे गलले यानी बाल कैसे कम हो गए? प्रियल ने जवाब दिया- पानी और शैंपू नी झालं, मतलब पानी और शैंपू से झड़ गए।
प्रियल के मम्मी-पापा बताते हैं कि अचानक बेटी के बाल झड़ने से हम डर गए। परिवार के दो और लोगों के बाल झड़ रहे थे। हमें लगा कोई बीमारी है। ऐसे अचानक गंजा होने के बारे में न पहले कभी सुना था और न देखा था। बीमारी से बाल झड़ते भी हैं तो धीरे-धीरे। एक हफ्ते में ज्यादातर बाल गिर गए, ये तो बहुत डरावना था।’
बाहर के लोग, फेरीवाले तक गांव में आने से डरने लगे
बोंडगांव में लोगों के बाल झड़ रहे हैं, ये खबर आसपास के गांवों में भी फैल गई। दूसरे गांव के लोगों ने बोंडगांव में आना बंद कर दिया। व्यापारी, फेरीवाले और जरूरत की चीजें पहुंचाने वालों ने भी गांव से दूरी बना ली।
बोंडगांव के सरपंच रामेश्वर गजानन बताते हैं, ‘28 दिसंबर को गांव में पहला केस आया। एक परिवार में 8 और 12 साल की दो बच्चियों के साथ उनकी मां के बाल झड़ने लगे। रात में सिर में खुजली हुई, सुबह कंघी की, तो उसमें बहुत सारे बाल आ गए। दो दिन में तीनों के आधे से ज्यादा बाल झड़ गए।’
‘शुरुआत में हमने उन्हें एक पहचान के डॉक्टर को दिखाया। डॉक्टर ने बताया कि शैंपू और साबुन की वजह से ऐसा हो जाता है। इसके बाद 4-5 दिन में और ज्यादा बाल झड़ने लगे।’
‘मुझे पता चला कि दूसरे गांवों में भी ऐसा हो रहा है। मैं वहां भी गया। लोगों को इकट्ठा किया और स्वास्थ्य विभाग के अफसरों से मिला। इसके बाद प्रशासन ने गांव में टीम भेजी। 14 से 17 जनवरी तक ICMR और दिल्ली एम्स की टीम आई। प्रभावित लोगों और उनके घर से गेहूं, चावल, पानी, मिट्टी के सैंपल लिए।’
रामेश्वर गजानन आगे बताते हैं, ‘गांव में 29 केस सामने आए। सभी गरीब परिवारों से हैं। ज्यादातर सरकारी राशन की दुकान से मिलने वाला गेहूं खाते थे। हमने उनका डेटा कलेक्ट किया। हेल्थ टीम यहां आई और पीड़ितों का यूनानी, होम्योपैथिक, आयुर्वेदिक और एलोपैथिक तरीकों से ट्रीटमेंट शुरू किया। जिन लोगों के बाल झड़ गए थे, उनके सिर मुंडवाए गए। फिर इलाज शुरू हुआ। एक हफ्ते से 10 दिन के भीतर बालों की रिकवरी शुरू हो गई। सिर के जिस हिस्से से बाल चले गए थे, वहां बाल आने लगे।’
अब भी बदनामी का डर, कैमरे पर बात नहीं करते लोग
पूरा बोंडगांव घूमने के बाद सिर्फ प्रदीप और प्रियल ने हमसे बात की। उनके अलावा कोई भी कैमरे पर नहीं आया। हम एक परिवार से मिले। उनके 27 साल के बेटे को गंजेपन की दिक्कत हुई थी। लड़के की मां ने हमें देखते ही पति से चेहरा छिपाने के लिए कहा। उन्हें डर था कि अगर फोटो मीडिया में आ गई, तो बदनामी होगी। मां बोलीं कि बेटे की कुछ दिन बाद शादी है। ये सब पता चल गया तो उसकी शादी टूट जाएगी।’
रिसर्च में दावा- सरकारी गेहूं में ज्यादा सेलेनियम, इससे बाल झड़े
मेडिकल रिसर्चर और पद्मश्री अवॉर्डी डॉ. हिम्मतराव बावस्कर बुलढाणा के ही रहने वाले हैं। उन्हें पता चला कि आसपास के गांवों में लोगों में गंजेपन की दिक्कत हो रही है। वे प्रभावित इलाकों में गए और रिसर्च शुरू की।