प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने Reliance Power CFO Arrest (Reliance Power CFO Arrest) कर एक तगड़ा कदम उठाया है। अधिकारियों का कहना है कि रिलायंस पावर लिमिटेड के मुख्य वित्त अधिकारी अशोक कुमार पाल को फर्जी बैंक गारंटी और नकली इनवॉइसिंग मामलों में गिरफ्तार किया गया है।
संदिग्ध दस्तावेजों और संदेहास्पद गारंटियों का जाल
ED ने दावा किया है कि अशोक पाल ने SECI परियोजनाओं में उस शक्ति का दुरुपयोग किया कि 68 करोड़ रुपये से अधिक की fake bank guarantees (नकली बैंक गारंटी) जमा करवाई हों।
बताया जा रहा है कि उन्होंने Biswal Tradelink Pvt. Ltd. (BTPL) नामक कंपनी को गारंटी जारी की, जो बैंक गारंटी करने का रिकॉर्ड नहीं रखती।
फंड डायवर्जन और नकद हस्तांतरण का खेल
अशोक पाल पर यह आरोप भी है कि उन्होंने फर्जी ट्रांसपोर्ट बिल (Fake Transport Bills) बना कर कंपनी से अवैध धन निकाला।
उनके वेंडर सिस्टम और SAP सिस्टम के बाहर चाहते हुए भुगतान कराने की योजना भी रिपोर्ट में शामिल है।
ED ने बताया कि उन्होंने नकली email domains जैसे “pnblndia.in”, “sbi.17313@sbi.co.in” आदि का उपयोग कर बैंक धोखाधड़ी की।
गिरफ्तारी और रिमांड प्रक्रिया
अशोक पाल को गुरुवार रात उनके दिल्ली कार्यालय से हिरासत में लिया गया।
उनके खिलाफ आज ED उन्हें न्यायालय में पेश करेगी, और 10 दिन की रिमांड की मांग की जाएगी।
बताया गया है कि उन्हें पहले Delhi पूछताछ किया गया और फिर अन्य एजेंसियों की संयुक्त टीम ने कार्रवाई की।
वित्तीय संकट में रिलायंस ग्रुप
इस गिरफ्तारी ने रिलायंस ग्रुप को एक और झटका दिया है।
ED की जांच के अनुसार, RHFL और RCFL द्वारा दिए गए 12,524 करोड़ रुपये के लोन में से 6,931 करोड़ रुपये NPA (Non-Performing Assets) घोषित किए गए हैं, जिनमें कई रीलायंस से संबंधित इकाइयाँ शामिल हैं।
निवेशकों और जनता के लिए संकेत
यह मामला संकेत देता है कि कंपनी-संबंधित अधिकारियों की वित्तीय पारदर्शिता (Financial Transparency) और जवाबदेही पर बढ़ते दबाव हैं।
यदि ये आरोप साबित होते हैं, तो निवेशकों का विश्वास प्रभावित हो सकता है और उक्त घोटाले की लहर कंपनी की प्रतिष्ठा पर भारी पड़ेगी।
