सीजी भास्कर, 31 अक्टूबर। राजनीति छोड़ने के बाद अक्सर नेता जनता से दूर चले जाते हैं, लेकिन केशकाल विधानसभा (Santaram Netam) क्षेत्र के पूर्व विधायक और पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष संतराम नेताम इन दिनों कुछ अलग ही मिसाल पेश कर रहे हैं।
धूप भरे खेतों में झुककर धान की कटाई करते, हाथों में हंसिया लिए, कंधे पर धान के बोझे उठाते हुए जब वे दिखाई दिए, तो लोग ठिठककर देखने लगे। किसी को यकीन नहीं हुआ कि जो कभी विधानसभा में बहस किया करते थे, वो आज उसी मिट्टी में फिर से लौट आए हैं, जहां से उनका सफर शुरू हुआ था।
नेताम ने खुद थ्रेसर मशीन चलाकर धान (Santaram Netam) की मिंजाई भी की। खेत में मौजूद मजदूरों के साथ वे हंसी-मजाक करते दिखे। उनके चेहरे पर वही सहज मुस्कान थी, जो बताती है कि नेता होने के बावजूद वे अब भी ज़मीन से जुड़े किसान हैं।
“राजनीति में आने से पहले भी मैं खेती करता था और विधायक रहते हुए भी खेती से नाता कभी नहीं टूटा। आज भी मैं किसान हूं, यही मेरा पेशा है, यही मेरी पहचान है,”
— संतराम नेताम
उन्होंने बताया कि खेती ही उनकी पहली पाठशाला रही है, जिसने उन्हें मेहनत, धैर्य और जीवन का असली अर्थ सिखाया।
युवाओं से की खेती अपनाने की अपील
नेताम का मानना है कि आज की युवा पीढ़ी अगर आत्मनिर्भर बनना चाहती है, तो खेती-बाड़ी से बेहतर रास्ता कोई नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि तकनीक के इस दौर में खेती को नया रूप देकर रोजगार के बड़े अवसर पैदा किए जा सकते हैं।
जब उनसे पूछा गया कि एक पूर्व विधायक होकर भी वे खुद खेतों में काम क्यों कर रहे हैं, तो मुस्कुराते हुए बोले —
“अपने खेती अपने सेती।” उनका जवाब जितना सादा था, उतना ही गहरा भी।
एक अलग मिसाल
संतराम नेताम की यह सादगी और ज़मीन से जुड़ाव लोगों के बीच चर्चा का विषय (Santaram Netam) बन गई है। गांववालों का कहना है कि नेताम हमेशा से अपने क्षेत्र के किसानों के बीच रहते आए हैं। खेतों में उनकी मौजूदगी लोगों को यह एहसास दिला रही है कि असली नेता वही होता है जो जनता की तरह जीता है, जनता की तरह मेहनत करता है।


