सीजी भास्कर, 3 जुलाई |
रायपुर स्थित राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल डॉ. भीमराव अंबेडकर हॉस्पिटल स्टाफ की कमी से जूझ रहा है। जिसके कारण यहां काम तो प्रभावित हो रहा है, वहीं डॉक्टर्स-मरीजों के बीच विवाद की स्थिति बन रही है। दरअसल, रविवार रात नाइट ड्यूटी पर तैनात जूनियर डॉक्टर्स और मरीज के साथ पहुंचे अटेंडर्स के बीच गाली-गलौज और मारपीट हो गई।
पहले जानिए पूरा मामला
रविवार रात को डॉक्टर्स वार्ड बाय के आने का इंतजार कर रहे थे और लेटलतीफी होता देख मरीज के साथ पहुंचे दो अटेंडर्स अग्रेसिव हो गए। डॉक्टरों के मुताबिक दोनों अटेंडर्स को कई दफा समझाइश देने के बावजूद वो शांत नहीं हुए। दोनों गाली-गलौज पर उतर आए। इसके बाद महिला स्टाफ के साथ दोनों ने अभद्रता की और फिर विवाद हो गया।
दोनों पक्षों ने पूरे मामले की थाने में शिकायत दी थी। मरीज के साथ पहुंचे लोगों (अटेंडर्स) ने डॉक्टरों पर मारपीट का आरोप लगाया था। वहीं डॉक्टरों ने भी अटेंडर्स पर महिला स्टाफ के साथ बदसलूकी और इलाज के दौरान बाधा पहुंचाने का आरोप लगाया।
जूडा प्रोटेस्ट किया, दूसरे पक्ष ने माफी मांगी
पूरे मामले को लेकर जूडा ने प्रोटेस्ट किया था। जिसके बाद दूसरे पक्ष ने माफी मांग ली और मामला शांत हो गया। लेकिन हाल की घटना केवल उदाहरण है। स्टाफ की कमी से जूझ रहे इस हॉस्पिटल में कई दफा इसी कारण के चलते विवाद हो चुका है।
हॉस्पिटल को 500 से ज्यादा स्टाफ की जरूरत है। ताकि डॉक्टर कंफर्टेबल होकर इलाज कर सके और मरीज या उनके परिजन इमरजेंसी के दौरान पैनिक न हो। लेकिन सरकार भर्तियां नहीं निकाल रही।
वार्ड बॉय मिलता तो नहीं होता विवाद
डॉक्टर्स और अटेंडर्स बीच हुए विवाद का एक तीसरा और बेहद महत्वपूर्ण पक्ष और है। डॉक्टरों और दोनों अटेंडर्स ने बताया कि विवाद वाली रात हॉस्पिटल में वार्ड बॉय की कमी थी। इसलिए लंबी बहस का दौर चला और विवाद हुआ। समय पर जांच के लिए वार्ड बॉय मिल जाते तो ये विवाद इतना नहीं बढ़ता।
1135 बेड पर 720 बेड के लिए ही कर्मचारी
मेकाहारा में इस समय मरीजों के लिए 1135 बेड हैं। लेकिन अस्पताल में कर्मचारी लगभग 700 बेड के हिसाब से ही हैं। यही वजह है कि आए दिन मरीज, अटैंडर्स और डॉक्टरों के बीच तनाव पैदा हो जाता है। मरीजों के साथ पहुंचे अटैंडर्स वार्ड में इलाज उनका कराने के लिए कभी स्ट्रेचर तो कभी व्हीलचेयर लेकर भटकते रहते हैं।
सरकार खाली पदों पर नहीं निकाल रही भर्ती
स्वास्थ्यकर्मियों की भर्ती को लेकर हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन कई बार शासन को लेटर लिख चुका है। लेकिन खाली पदों पर भर्ती नहीं निकाली गई है। अस्पताल में तृतीय श्रेणी के कर्मचारियों के 844 पद स्वीकृत हैं। इनमें से 296 नियमित कर्मचारी हैं। 428 पद अभी खाली हैं।
वार्ड बॉय और अटेंडर के 166 पद खाली
इसके अलावा चतुर्थ श्रेणी के 383 पद स्वीकृत हैं। इनमें 203 नियमित हैं। 14 कर्मचारी संविदा पर रखे गए हैं। बाकी 166 पद अभी भी रिक्त हैं। इनमें वार्ड बॉय और अटेंडर जैसे पद आते हैं। मरीजों की देखभाल के लिए पर्याप्त नर्सिंग स्टाफ भी नहीं है। इससे वर्क लोड जूडा पर बढ़ रहा है।
550 से अधिक कर्मचारियों को भर्ती करने की आवश्यकता
इस समय हॉस्पिटल में 227 स्टाफ नर्स हैं। इनमें 127 नियमित और 99 संविदा पर हैं। 89 वार्ड बॉय हैं, इनमें 5 संविदा पर हैं और 60 नर्सिंग सिस्टर हैं। इसके अलावा 300 को दैनिक वेतन मानदेय के हिसाब से रखा गया है। आंकड़ों पर जाएं तो इस समय मेकाहारा में 550 से अधिक पदों पर भर्ती की जरूरत है।
आधे से ज्यादा कर्मचारी तो ठेका कर्मी हैं। यानी अस्पताल में कुल नियमित स्टाफ जरूरत के मुताबिक एक चौथाई है।