सीजी भास्कर, 26 अप्रैल। छत्तीसगढ़ के धमतरी में वक्त के साथ बेटियां भी हर वो सभी काम कर रही हैं, जो सिर्फ बेटे ही करते थे। वक्त के साथ समाज की सोच भी बदल रही है। बेटियां पिता की अर्थी को कंधा देने के साथ मुखाग्नि दे रही हैं।
ऐसा ही वाक्या धमतरी के सिर्री गांव मे देखने को मिला। परंपराओं से हटकर तीन बेटियों ने अपने पिता को कंधे देकर मुक्तिधाम तक ले कर गए और मुखाग्नि दी।
मृतक का कोई बेटा नहीं था, इसलिए बेटियों ने पिता की अर्थी को कंधा दिया। धमतरी जिले के कुरुद विधानसभा क्षेत्र में रहने वाले भारत साहू का शुक्रवार निधन हो गया। वह 48 साल के थे। पिछले कुछ दिनों से वो बीमार थे, जिनका इलाज रायपुर के एक निजी अस्पताल में चल रहा था।
भारत साहू की तीन बेटियां हैं। डाकेश्वरी, होमिता और भूमिता साहू। जिनमें से बड़ी बेटी की शादी कुछ महीने पहले ही हुई थी। वहीं, दो बेटियां अपनी पढ़ाई कर रही है। भारत का कोई बेटे नहीं होने के चलते अंतिम संस्कार के लिए गांव के लोग असमंजस में पढ़ गए थे।
लेकिन तीनों बेटियों ने रूढ़िवादी परम्परा से हटकर अपने पिता के अर्थी को कंधा देने का फैसला किया। फिर तीनों बेटियों ने अपने पिता की अर्थी को कंधा देकर श्मशान घाट तक पहुंचाया। इसके बाद विधि विधान से उनका अंतिम संस्कार किया। इस दौरान शमशान घाट में जिसने भी यह दृश्य देखा, उसकी आंखें नम हो गईं।
हर कोई दे रहा बेटियों की मिसाल
गांव के लोगों ने कहा- तीनों बेटियों ने न सिर्फ पिता की अर्थी को कंधा किया, बल्कि उनका अंतिम संस्कार करते हुए चिता को मुखाग्नि भी दी. उन्होंने वो सारे कार्य किए जो एक बेटा करता है। पूरा गांव इन बेटियों की मिसाल दे रहा है।